नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) होने वाले हैं और चुनावी राजनीति में भी राम नाम का जोर है. बीजेपी तो तीन दशकों से राम नाम की राजनीति करती रही है, लेकिन राम के विरोधी और राम को काल्पनिक कथा चरित्र ठहराने वाले दल भी अब राम की शरण में सियासी छांव तलाश रहे हैं. इसी कोशिश में यूपी चुनाव से ठीक पहले एक किताब लिखी गई है.


सलमान खुर्शीद ने लिखी अयोध्या पर किताब


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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एक किताब लिखी है. खुर्शीद का कहना है कि वो देश को फैसले के कारण और मकसद समझाना चाहते हैं, लेकिन किताब को देखकर लगता है कि कांग्रेस पार्टी अयोध्या की शिकस्त को पांव तले दबाकर अयोध्या की जीत में अपना झंडा भी घुसेड़ना चाहती है.


किताब को लेकर बीजेपी ने खुर्शीद पर साधा निशाना


सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की किताब को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमलावर हो गई है और गुरुवार को बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सलमान खुर्शीद पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'हिंदुत्व के खिलाफ कांग्रेस की यह बड़ी साजिश है और उनकी विचारधाना हिंदुओं के खिलाफ है. ये केवल हिंदुओं की भावनाओं की नहीं है, भारत की आत्मा को भी गहरी ठेस पहुंचाती हैं. कांग्रेस पार्टी एक मकड़ी की तरह  हिंदुओं के खिलाफ नफरत का जाल बुन रही है.' इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से सलमान खुर्शीद पर कार्रवाई करने की मांग की.



सलमान खुर्शीद ने क्यों लिखी किताब?


सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने अभी ये किताब क्यों लिखी है और उसका मकसद क्या है? इसे बेहतर समझने के लिए आपको इन पांच बिंदुओं पर गौर करना चाहिए, जो खुर्शीद की किताब में कही गई हैं.


1. सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) अपनी किताब में कहते हैं कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल ठीक है. मतलब, ये कि कांग्रेस पार्टी जन्मभूमि पर मस्जिद का दावे के पक्ष में गलत तरीके से खड़ी थी.
2. खुर्शीद लिखते हैं कि अदालत में हिंदू पक्ष ने दावे के पक्ष में ज्यादा मजबूत सबूत पेश किए. इसका मतलब ये है कि मुस्लिम पक्ष बिना सबूतों के या कमजोर सबूतों के आधार पर विवाद कर रहा था.
3. सलमान खुर्शीद लिखते हैं कि कांग्रेस पार्टी का एक धड़ा हिंदुत्व की ओर लौटने का पक्षधर है. मतलब ये कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम परस्त पार्टी मानी जाती है और ये छवि बदलने की कोशिश हो रही है.
4. खुर्शीद किताब की पेज नंबर 113 पर लिखते हैं कि आज का राजनीतिक हिंदुत्व ISIS और बोको हरम जैसी कट्टरपंथी विचारधारा जैसा है. मतलब ये है कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते ही आगे बढ़ सकती है.
5. सलमान खुर्शीद ये भी लिखते हैं कि अयोध्या का मंदिर किसी एक पार्टी का नहीं सबका है. इसका मतलब ये है कि राम नाम की राजनीति में अब कांग्रेस भी अपना हिस्सा तलाश रही है.


क्या कांग्रेस जमा पाएगी यूपी में चुनावी रंग?


तो क्या सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की किताबी कोशिश उत्तर प्रदेश की चुनावी जमीन पर रंग जमा पाएगी. क्या कांग्रेस ने भी यूपी चुनाव में राम नाम का सत्य कबूल कर आगे बढ़ने का फैसला किया है. सलमान खुर्शीद की किताब का मकसद क्या है? अयोध्या के श्रीराम सबकी राजनीति के भी खेवनहार हैं और ये सच अब शायद कांग्रेस पार्टी के बुज़ुर्ग नेताओं ने कबूल करना शुरू कर दिया है. इसकी ताजा मिसाल कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील सलमान खुर्शीद की किताब है, जिसमें सलमान ये दावा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में बहुत अच्छा फैसला दिया है.


सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझने 2 साल क्यों लगे?


अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जिस अच्छे निर्णय को समझने और किताब लिखने में कांग्रेस पार्टी के नेता सलमान खुर्शीद को दो साल लग गए, वो किताब ऐन चुनाव के मौके पर क्यों पूरी हुई है. उसका कारण तो खुर्शीद नहीं बताते. हां, अयोध्या के राम मंदिर में हिस्सा जरूर तलाशते हैं. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के नाम पर वैसे तो कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी तभी मांगने की कोशिश करने लगी थी. जब अयोध्या में भूमि पूजन हो रहा था और तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्विटर पर चिट्ठी पोस्ट करके मंदिर निर्माण की खुशी और उसमें भागीदारी का भाव दिखाया था. कांग्रेस की इस कोशिश पर ओवैसी जैसे मुस्लमवादी नेता चिढ़ भी गए थे.


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