मुंबई: महाराष्ट्र विधान परिषद की छह सीटों पर हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को झटका देते हुए नागपुर सहित चार सीटों पर जीत दर्ज की है. पार्टी ने अकोला-बुलढाणा-वाशिम सीट शिवसेना से छीन ली है.


'बीजेपी ने तोड़ा मिथक'


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महाराष्ट्र विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा की जीत पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि भाजपा ने एमवीए के इस मिथक को तोड़ दिया है कि तीनों दल (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) राज्य में मिलकर सभी चुनाव जीत सकते हैं.


चुनाव आयोग ने 10 दिसंबर को महाराष्ट्र विधान परिषद की छह सीटों पर मतदान का ऐलान किया था. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की दो सीटों पर हुए चुनाव में शिवसेना (सुनील शिंदे) और भाजपा (राजहंस सिंह) ने एक-एक सीट पर निर्विरोध जीत हासिल की.


कोल्हापुर और नंदुरबार-धुले विधान परिषद चुनावों में भी कांग्रेस और भाजपा ने क्रमशः एक-एक सीट पर निर्विरोध जीत दर्ज की. नागपुर और अकोला-बुलढाणा-वाशिम सीटों पर 10 दिसंबर को मतदान हुआ था.


नागपुर में MVA को मिली हार


जिला सूचना कार्यालय के अनुसार, नागपुर में पड़े 554 मतों में से भाजपा उम्मीदवार और राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को 362 वोट मिले, जबकि एमवीए समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार मंगेश देशमुख को 186 वोट हासिल किये.


मतदान की पूर्व संध्या पर कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र भोयर ने चुनाव लड़ने में असमर्थता व्यक्त की थी, जिसके बाद पार्टी ने देशमुख का समर्थन किया था. हालांकि, बाद में भोयर ने चुनाव लड़ा और उन्हें केवल एक वोट मिला.


'जीत ने रखी BJP के भविष्य की नींव'


अकोला-वाशिम-बुलढाणा में शिवसेना के तीन बार के विधान पार्षद गोपीकिशन बाजोरिया को भाजपा के वसंत खंडेलवाल से हार का सामना करना पड़ा. कुल 808 वोटों में से खंडेलवाल को 443 जबकि बजोरिया को 334 वोट मिले.


फडणवीस ने कहा, 'एमवीए के दल दावा कर रहे थे तीनों दल मिलकर सभी चुनाव जीतेंगे. हमने इस मिथक को चकनाचूर कर दिया है और मुझे लगता है कि इस जीत ने हमारी भविष्य की जीत की नींव रखी है.' बीजेपी के वसंत खंडेलवाल ने अपनी जीत का श्रेय अपनी पार्टी की सफल रणनीति को दिया है.



कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना


बावनकुले ने कहा कि एमवीए के पास 240 वोट थे. हालांकि, एमवीए समर्थित उम्मीदवार को केवल 186 वोट मिले. बावनकुले ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पर निशाना साधते हुए उन पर निरंकुश तरीके से व्यवहार करने का आरोप लगाया और उनके इस्तीफे की मांग की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए कि उनके वोट क्यों बंटे.


उन्होंने कहा, 'दो दिन तक वे खरीद-फरोख्त में लिप्त रहे, फिर भी वे अपनी पार्टी को साथ नहीं रख सके. यह सही मायने में कांग्रेस नेताओं की हार है. कांग्रेस नेता निरंकुश तरीके से व्यवहार कर रहे हैं. नाना पटोले पार्टी की प्रदेश इकाई के काम के लिये ठीक नहीं हैं और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.'


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