DNA: पाकिस्तान का ये कानून बन रहा `अल्पसंख्यकों का काल`, कट्टरपंथी भीड़ की बलि चढ़ रहे मासूम
Attacks on Minorities: पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के फैसलाबाद शहर में चर्चों पर कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया, जहां बुधवार सुबह ये अफवाह फैली कि वहां जरानवाला इलाके में कुरान का अपमान हुआ है और ईशनिंदा की गई है, लेकिन इस बात का कोई सबूत या गवाह पाकिस्तान की पुलिस तलाश कर पाती, उससे पहले ही कट्टरपंथियों की भीड़ जरानवाला इलाके में मौजूद चर्च और ईसाई बस्ती में पहुंच गई और कट्टरपंथी भीड़ ने सब कुछ तबाह कर दिया.
Church attacked in Pakistan: क्या धर्म के नाम पर हिंसा फैलाना, अल्पसंख्यकों के घर जला देना, उनके पूजा स्थलों पर हमले करना और लोगों की जान ले लेना जायज है? किसी देश या किसी भी धर्म में इसकी इजाजत नहीं है लेकिन जब बात पाकिस्तान की आती है तो बात अलग हो जाती है, क्योंकि शायद पाकिस्तान में धार्मिक नारे लगाते हुए दूसरे धर्म के लोगों को मार डालना, उनके पूजास्थल जला डालना सब जायज है और ये बात हम पूरे यकीन के साथ इसलिए कह सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान ने खुद इस बात को वक्त-वक्त पर साबित किया है और अब ये बात एक बार फिर साबित हो गई है.
अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा बेनकाब
अक्सर पाकिस्तान का अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा बेनकाब होता है जिसमें अल्पसंख्यकों के हक छीने जाते हैं लेकिन कट्टरपंथियों को Minorities के घर जलाने, पूजा स्थल पर हमले करने, धार्मिक चिन्हों का अपमान करने के पूरे हक दिए जाते हैं. इस बार पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की भीड़ ने चर्च को निशाना बनाया और ईसाइयों की पवित्र बाइबिल का अपमान किया. चर्च में आगजनी की गई, लेकिन इन कट्टरपंथियों को ऐसा करने से रोकने वाला कोई नहीं है. कट्टरपंथी, सरेआम सड़कों पर धार्मिक लगाते हुए चर्च को निशाना बना रहे हैं.
ईसाई बस्ती में पहुंच गई भीड़
चर्चों पर कट्टरपंथियों के ये हमले पाकिस्तान में पंजाब के फैसलाबाद शहर में हुए. जहां बुधवार सुबह ये अफवाह फैली कि वहां जरानवाला इलाके में कुरान का अपमान हुआ है और ईशनिंदा की गई है, लेकिन इस बात का कोई सबूत या गवाह पाकिस्तान की पुलिस तलाश कर पाती, उससे पहले ही कट्टरपंथियों की भीड़, जरानवाला इलाके में मौजूद चर्च और ईसाई बस्ती में पहुंच गई. भीड़ में मौजूद कट्टरपंथियों के हाथों में धारदार हथियार, डंडे और पेट्रोल था. सबसे पहले ये लोग चर्च में घुसे, वहां तोड़फोड़ की. इसके बाद चर्च की छत पर पहुंचे और क्रॉस को गिरा दिया और फिर चर्च में पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई.
पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया
ये भीड़ इतने पर ही नहीं रुकी, कट्टरपंथियों की भीड़ ने इलाके में रहने वाले ईसाई लोगों के घरों को निशाना बनाया. नाम पूछ-पूछकर सड़कों पर पीटा. घरों में घुसकर सामान तोड़ा लेकिन आरोप है कि पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया और कट्टरपंथियों की भीड़ सर तन से जुदा का नारा लगाते हुए ईसाइयों के चर्च और घरों पर हमले करती रही.
कट्टरपंथियों ने किया ईसाइयों पर हमला
सोशल मीडिया पर ऐसे ही कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. कट्टरपंथियों की भीड़ के गुस्से का शिकार बनी, एक ईसाई फैमिली का वीडियो भी सामने आया है, जिनके घर को कट्टरपंथियों की भीड़ ने तहस-नहस कर दिया. पाकिस्तान में ईसाई समुदाय काफी डरा हुआ है, क्योंकि उनकी सुरक्षा के लिए कोई नहीं है, ना पुलिस, ना सरकार. दो दिन पहले ही, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में सबसे खराब देश बताया गया था.
कट्टरपंथी दंगाइयों का आतंक
ये रिपोर्ट पढ़कर आपको अंदाजा हो ही गया होगा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कितने खतरे में हैं और ये कोई पहली बार नहीं हुआ है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं पहले भी होती रही हैं. हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई. इस नारे में पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को जरा भी विश्वास नहीं है. पाकिस्तान में ईशनिंदा के नाम पर ईसाईयों पर खूब अत्याचार हो रहा है. कट्टरपंथी दंगाइयों की भीड़ ने अब तक पाकिस्तान में पंजाब के 21 चर्चों को या तो जला दिया है या फिर उनमें तोड़-फोड़ मचाई है.
उम्रकैद से लेकर मौत की सजा
अब आपको पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के बारे में भी बताते हैं, जिसे कट्टरपंथियों ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का लाइसेंस बना दिया है. पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून कहता है कि इस्लाम या पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कुछ भी बोलने या करने पर उम्रकैद से लेकर मौत की सजा हो सकती है. पाकिस्तान में पहली बार ईशनिंदा के कानून में मौत की सजा का प्रावधान वर्ष 1986 में जिया उल हक के सैन्य शासनकाल में किया गया था. इससे पहले तक इस कानून में दस साल तक की ही सजा का प्रावधान था. इसके बाद वर्ष 1991 में इस कानून में एक बदलाव करते हुए तय किया गया कि पैगंबर मुहम्मद के अपमान के दोषी को सिर्फ सजा-ए-मौत होगी.
पाकिस्तान में ईशनिंदा का कानून सख्त
इसी वर्ष जनवरी 2023 में इस कानून में एक और बदलाव किया गया और जोड़ा गया कि पैगंबर मुहम्मद के परिवार और करीबी रिश्तेदारों के अपमान के केस में भी दस साल की सजा होगी. यानी वक्त के साथ-साथ पाकिस्तान में ईशनिंदा का कानून सख्त होता गया लेकिन इसको लेकर सवाल भी खड़े होते रहे हैं. पाकिस्तान के Centre for Social Justice की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1927 से लेकर 2022 तक ईशनिंदा के केस में 2120 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हैरत की बात ये है कि ईशनिंदा के 52 प्रतिशत आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय के थे, जिसका पाकिस्तान की आबादी में हिस्सा सिर्फ करीब साढ़े तीन प्रतिशत ही है.
पाकिस्तान में कट्टरपंथी लोग
पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने कई मौकों पर ये दावा किया है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी लोग, ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल निजी दुश्मनी निकालने के लिए और एक दूसरे से बदला लेने के लिए करते हैं और इससे धर्म का कोई लेना-देना भी नहीं होता. अब इसके भी कुछ उदाहरण आपको बताते हैं.
श्रीलंकाई नागरिक की हत्या
पाकिस्तान में 3 दिसंबर साल 2021 को ईशनिंदा का आरोप लगाकर एक श्रीलंकाई नागरिक की हत्या भीड़ ने पीट-पीटकर कर दी थी और फिर उनके शव को जलाकर सेल्फी भी खिंची थी. इस मामले में पिछले साल पाकिस्तान की अदालत ने माना था कि श्रीलंकाई नागरिक बेकसूर थे और उन्होने कोई ईशनिंदा नहीं की थी. इसके बाद अदालत ने उनकी हत्या के जुर्म में 89 लोगों को दोषी पाया था और उनमें से छह को मौत की सजा सुनाई थी.
8 साल के मानसिक विक्षिप्त हिंदू बच्चे पर ईशनिंदा
पाकिस्तान में ईशनिंदा के कानून का अल्पसंख्यकों के खिलाफ कैसे इस्तेमाल किया जाता है, इसका एक और उदाहरण अगस्त 2021 में सामने आया था. उस वक्त रहीमयार खान इलाके में कट्टरपंथियों ने 8 साल के एक मानसिक विक्षिप्त हिंदू बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था, जिसके बाद भीड़ ने हिंदू मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ कर दी थी, जिसके बाद पाकिस्तान पुलिस ने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर उस 8 साल के बच्चे के खिलाफ ही ईशनिंदा का केस दर्ज कर लिया था और उसे गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया गया था.
35 वर्षीय व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या
ये बताता है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा का काला कानून कैसे कट्टरपंथियों को कानून हाथ में लेने की इजाजत देता है जिनके आगे पुलिस की भी नहीं चलती है. इसका एक और सबूत इसी साल फरवरी में भी देखने को मिला था. जब पाकिस्तान के ननकाना साहिब जिले में ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार एक 35 वर्षीय व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. पीड़ित पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगाया गया था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन फिर कट्टरपंथियों की भीड़ ने थाने मे घुसकर आरोपी को मौत के घाट उतार दिया था. ये तो महज कुछ घटनाएं हैं, अब आपको कुछ आंकड़ों के जरिये समझाते हैं कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून कैसे भीड़ को किसी की जान ले लेने की इजाजत देता है.
ईशनिंदा का आरोप लगाकर 89 लोगों की हत्या
वर्ष 1947 से लेकर 2021 तक पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगाकर 89 लोगों की हत्या हो चुकी है. इनमें से 29 ईसाई समुदाय से थे, जिनकी हत्या कर दी गई. इसके बाद 13 अहमदिया और बयालिस 42 सुन्नी मुस्लिमों की हत्या, ईशनिंदा का आरोप लगाकर कर दी गई. ये सारे आंकड़े गवाही देते हैं कि पाकिस्तान में ईशनिंदा का कानून, कैसे कट्टरपंथियों के लिए Licence To Kill बन चुका है और इसी का नतीजा है बुधवार को हुई घटना. इसमें चर्चों को निशाना बनाया गया, ईसाईयों के घर तोड़फोड की गई. इसको लेकर पूरी दुनिया में पाकिस्तान की बदनामी हो रही है.
ईशनिंदा के कानून में दोषी को मौत तक की सजा
पाकिस्तान इकलौता देश नहीं है, जहां ईशनिंदा का कानून है. Research Firm, PEW की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 26 देशों में ऐसे कानून हैं जिसमें धर्म का अपमान करने पर सजा का प्रावधान हैं. इनमें से 70 फीसदी मुस्लिम देश हैं. सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान, नाइजीरिया और अफगानिस्तान में ईशनिंदा के कानून में दोषी को मौत तक की सजा दी जा सकती है. Deccan Religious की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक देशों में ईशनिंदा के आरोप में पिछले 20 वर्षों मे 12 हजार से ज्यादा लोगों की हत्या हुई है यानी जिन देशों में ईशनिंदा का कानून है और उस पर भी जहां ईशनिंदा पर मौत की सजा का प्रावधान है, वहां ईशनिंदा के आरोप में Mob Lynching के सबसे ज्यादा केस होते हैं और पाकिस्तान में इसका सबसे ताजा उदाहरण आपने देख ही लिया है.
पाकिस्तान में पवित्र बाइबिल का अपमान ईशनिंदा क्यों नहीं?
सवाल तो ये भी है कि ईशनिंदा का कानून सिर्फ मुसलमानों के लिए ही क्यों है? क्या पाकिस्तान में जिस तरह कट्टरपंथियों की भीड़ ने चर्च जलाए और पवित्र बाइबिल का अपमान किया, वो ईशनिंदा नहीं है? और अगर नहीं है तो क्यों नहीं है? अगर कुरान की बेअदबी ईशनिंदा है, तो बाइबिल को जलाना भी तो ईशनिंदा होना चाहिए. इन सवालों के जवाब, पाकिस्तान में किसी के पास नहीं है.