Lucknow News: लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024) में अपनी पार्टी की रणनीति को धार देने के लिए समाजवादी पार्टी (SP) अब ओबीसी (OBC) के अलावा अन्य जातियों को साधने की कोशिश कर रही है. इस सिलसिले में पीडीए (PDA) के फार्मूले पर 2024 के आम चुनाव के मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की नजर ब्राह्मण वोटरों पर भी टिकी हैं. ऐसे में अब सपा नेताओं की एक टीम ब्राह्मण समाज (Brahmin Community) को साधने के लिए आने वाली 24 दिसंबर यानी रविवार को प्रदेश कार्यालय में महाब्राह्मण महापंचायत का आयोजन कर रही है. समाजवादी पार्टी की तरफ से आयोजित इस विशेष महापंचायत में सपा के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.


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टुनटुन पांडे ने संभाला मोर्चा


इस आयोजन के लिए सपा (SP) दफ्तर से लेकर अखिलेश यादव के आवास तक राष्ट्रीय कार्यरत पार्टी (Rashtriya Karyarat Party) के अध्यक्ष टुनटुन पांडे (Tuntun Pandey) ने महापंचायत के पोस्टर लगा रखे हैं. महापंचायत में ब्राह्मण समाज के बड़े चेहरों को एक मंच पर जुटाने और उनके वोटों को साधने की तैयारी है.


वोट बैंक के विस्तार की कोशिश में SP

आपको बताते चलें कि यूपी में बीजेपी (BJP), कांग्रेस (INC), समाजवादी (SP) पार्टी, अपना दल, निषाद पार्टी, बीएसपी (BSP) से लेकर सुहेलदेव समाज पार्टी का अपना-अपना बेस वोट बैंक है. बीते एक दशक में यूपी की सियासत में बीजेपी ने ऐसा पैटर्न अपनाया है कि वो अजेय हो गई है. बीजेपी अब हर जाति और मजहब की पार्टी होने का दावा करती है. उधर दूसरी ओर समाजवादी पार्टी का पारंपरिक बेस वोट बैंक मुसलमान और यादव समाज रहा है, लेकिन इतने भर से सपा का भला नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अखिलेश यादव अब अपने वोट बैंक का विस्तार करने की कोशिश में हैं. वह इस मान्यता को भी तोड़ना चाहते हैं कि यादव के साथ बाकी पिछड़ी जातियां नहीं जुड़ सकती हैं.


इन जातियों पर सपा का फोकस

यूपी की सियासत को समझने वाले पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि यादव समाज के वर्चस्व के कारण अति पिछड़ी जातियां उनसे दूर हो गई हैं. ऐसे में अब सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का फोकस मल्लाह, निषाद, कश्यप और मांझी जैसी छोटी-छोटी जातियों के साथ अगड़ो को भी साधने पर है.


गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने छोटी-छोटी जातियों का नेतृत्व करने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन किया था. हालांकि उसका वो दांव कुछ खास काम नहीं आया. वहीं पिछला यूपी चुनाव हारने के बाद ही इन पार्टियों ने अखिलेश का साथ छोड़ दिया. इसीलिए अखिलेश इस बार अपनी पार्टी में ब्राह्मण समेत जनरल कास्ट की सभी जातियों में पार्टी की पैठ बढ़ाकर अपना वोटबैंक बढ़ाना चाहते हैं.