भविष्य के लिए भारतीय वायुसेना लगातार खुद को अपग्रेड कर रही है. इसी दिशा में अहम कदम उठाते हुए मिराज-2000, मिग-29 और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) जैसे विमानों में अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल फिट जा सकेगी. चीन बॉर्डर पर जमीनी हमलों के लिए इसको और ज्यादा असरदार बनाया जाएगा. वायुसेना चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने यह जानकारी दी है. 


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वायुसेना प्रमुख ने कहा, अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल छोटे वर्जन की होगी. इस मिसाइल को छोटे विमानों से भी दागा जा सकेगा. साल 2020 में लद्दाख में चीन से हुई झड़प के बाद इसकी कमी महसूस की गई, जिसके बाद वायुसेना ने इस पर काम शुरू किया. वायुसेना की ताकत में इजाफा उस वक्त हुआ, जब सुखोई-30 में ब्रह्मोस मिसाइल को अटैच किया गया.


ब्रह्मोस को भारत का ब्रह्मास्त्र बताते हुए देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भरता का अर्थ ये नहीं कि हर चीज को हम मैन्युफैक्चर करें. भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह संभव नहीं है. हम जॉइंट वेंचर्स की स्थापना करने जा रहे हैं. ब्रह्मोस एयरोस्पेस इसी का उदाहरण है. सीडीएस चौहान ने आगे कहा, आज दुनिया उम्मीद भरी नजरों से भारत को देख रही है. हमारा कद बढ़ रहा है. देश में आज कई बदलाव हो रहे हैं.


गौरतलब है कि अब देश की तीनों सेनाएं ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल से लैस हैं. साल 2005 में भारतीय नेवी को ब्रह्मोस मिसाइल मिली थी. इसके बाद 2007 में भारतीय थल सेना और 2020 में वायुसेना के बेड़े में इसे शामिल किया गया. अगले कुछ वर्षों में भारत के पास अपनी हायपरसॉनिक मिसाइल भी होगी.


गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय नेवी में शामिल हुए आईएनएस मोरमुगाओ से 13 मई को ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. इसने सटीक निशाने को भेद डाला था. आईएनएस मोरमुगाओ को भारतीय नेवी के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है. यह आधुनिक वॉरशिप है, जिससे कई अत्याधुनिक हथियार दागे जा सकते हैं.