Kolkata News: बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) मालदा सेक्टर की एक महिला कांस्टेबल ने बुधवार को बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ की बड़ी साजिश को नाकाम किया है. बीएसएफ ने दावा किया है  कि पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में अर्धापुर के पास बॉर्डर पर बाड़ के पास पांच से छह हथियारबंद बांग्लादेशी नागरिकों का एक ग्रुप आ रहा था. इसी दौरान 88वीं बीएसएफ बटालियन की महिला कांस्टेबल ने अकेले ही उन्हें चुनौती दी.


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उन्होंने ये महसूस करने के बावजूद कि बांग्लादेशी नागरिकों के पास घातक हथियार थे, बिना किसी हिचकिचाहट के आगे बढ़कर कार्रवाई की. बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता एवं डीआईजी एनके पांडे ने बताया, "कांस्टेबल ने अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन करते हुए यह महसूस करने के बावजूद कि बांग्लादेशी नागरिकों के पास घातक हथियार थे, बिना किसी हिचकिचाहट के आगे बढ़कर चुनौती दी.  यह पता नहीं चल सका कि वे तस्कर थे या नहीं, लेकिन वे अवैध रूप से भारतीय बॉर्डर में घुस आए थे और सीमा पर लगी बाड़ को तोड़ने के इरादे से उसके पास आ रहे थे.'


DIG पांडे ने बताया कि महिला कांस्टेबल दूसरी शिफ्ट में ड्यूटी पर थी, तभी उन्होंने घुसपैठियों को बाड़ की तरफ बढ़ते देखा. उन्होंने तुरंत चेतावनी दी और रेडियो पर अपने साथियों को सचेत किया. चेतावनी दिए जाने के बाद भी बांग्लादेशियों ने आक्रामक रुख अपनाया और आगे बढ़ते रहे. लेकिन बहादुर महिला कांस्टेबल  अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए बांग्लादेशी ग्रुप की तरफ बढ़ती गई.


घने कोहरे का फायदा उठाकर हुआ फरार
डीआईजी ने कहा, 'तब तक वे बाड़ के करीब पहुंच चुके थे. अगर कांस्टेबल ने फायरिंग नहीं की होती तो वे बाड़ को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते. शोर सुनकर और उनके इरादे को भांपकर अपराधी घने कोहरे का फायदा उठाकर फरार हो गए. फायरिंग में किसी बदमाश के घायल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.'


महिला कांस्टेबल का समर्पण और बहादुरी बेमिसाल
भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक्टिव ड्यूटी पर तैनात महिला कांस्टेबलों के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा, 'उनकी क्षमता, समर्पण और बहादुरी बेमिसाल है. वे किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि को रोकने और देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने में पूरी तरह सक्षम हैं.' ( आईएएनएस इनपुट के साथ )