Milkipur Seat Caste Equation: राजनीति में अब बात करेंगे अयोध्या की मिल्कीपुर सीट की. उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ लेकिन मिल्कीपुर सीट पर चुनावी तापमान बढ़ गया. बीजेपी हर हाल में लोकसभा चुनाव में अयोध्या हार का बदला इस सीट को जीतकर लेना चाहती है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नजर बनाए हुए हैं. आज इस रिपोर्ट में हम आपको मिल्कीपुर सीट का पूरा गणित समझाएंगे. ये भी बताएंगे कि अखिलेश यादव क्यों इस सीट पर जीत का ताल ठोक रहे हैं.


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अयोध्या में हार पर अखिलेश ने कसे बीजेपी पर तंज


अयोध्या में भी बीजेपी क्या फिसली, अखिलेश यादव गाहे-बगाहे संसद से लेकर चौराहे तक लगभग हर मौके पर बीजेपी पर जोरदार तंज कसते रहे हैं. मानो पूरे लोकसभा के नतीजे एक तरफ और अयोध्या की हार दूसरी तरफ..विपक्षी नेताओं ने जमकर मजाक उड़ाया...सोशल मीडिया पर मीम बने.


राम मंदिर के नाम पर पार्टी ने पूरे देश में वोट मांगा लेकिन अयोध्या में ही गच्चा खा गई. अब इस हार की भरपाई मिल्कीपुर सीट को जीतकर कर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.


सीएम योगी के लिए बनी प्रतिष्ठा का सवाल


मिल्कीपुर बीजेपी के लिए सम्मान का कितना बड़ा मुद्दा है. उसे योगी आदित्यनाथ के मिल्कीपुर पर फोकस से समझा जा सकता है. योगी आदित्यनाथ अब मिल्कीपुर उपचुनाव की मॉनिटरिंग खुद कर रहे हैं. पिछले 45 दिन के अंदर 6 अगस्त...10 अगस्त, 18 अगस्त और 5 सितंबर को अयोध्या का दौरा किया.
  
महंत रामचन्द्र दास परमहंस समेत तमाम साधु संतो से मुलाकात की. सनातन धर्म पर खतरों के खिलाफ जंग का 'आह्वान' किया. बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म को भी हथियार बनाने का प्रयास किया. यानी बीजेपी विपक्ष के जाति कार्ड को हिंदुत्व की धार से काटने की तैयारी में है. इसे पूरी तरह से असरदार बनाने के लिए बीजेपी की एक्सपर्ट टीम भी मैदान में उतर चुकी है.


मिल्कीपुर पर बीजेपी करवा रही कई सर्वे


मिल्कीपुर सीट का सर्वे 4-4 वरिष्ठ नेता कर रहे है. सीट के जातीय समीकरण का आंकलन किया जा रहा है. सोशल इंजीनियरिंग समझकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी प्रत्याशी का नाम तय करेगी. माना जा रहा है कि बीजेपी का चेहरा चौंकाने वाला हो सकता है.


इसके अलावा अयोध्या रेप केस जिसमें एक हिंदू लड़की के रेप का आरोप मुस्लिम पर लगा, इसको लेकर भी बीजेपी लगातार समाजवादी पार्टी पर हमलावर है.  अब समाजवादी पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी मिल्कीपुर सीट हारी तो लोकसभा चुनाव की जीत का स्वाद फीका हो सकता है.


जानें मिल्कीपुर का जातीय समीकरण


यही वजह है कि अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया है. अखिलेश यादव के दांव को समझने के लिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण जानना होगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक मिल्कीपुर सीट पर एससी करीब 24 प्रतिशत हैं, जिसमें अकेले पासी समुदाय की ही 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.


वहीं ब्राह्मण करीब 17 प्रतिशत, यादव करीब 16 प्रतिशत, मुस्लिम लगभग 9 प्रतिशत, ठाकुर 7 प्रतिशत, कोरी 6 प्रतिशत और अन्य 21 प्रतिशत हैं. अखिलेश की रणनीति को समझें तो दलित उम्मीदवार को मैदान में उतारकर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक कार्ड को साधा जा रहा है. 


क्या अखिलेश के PDA को काट पाएगी बीजेपी?


अखिलेश को भरोसा है कि PDA यानी पिछड़ा..दलित और अल्पसंख्यक का कार्ड खेलकर सीट पर जीत की पताका फहरा सकते हैं. बीजेपी इस दांव को काटने के लिए हिंदुत्व का पासा फेंक रही है. कुल मिलाकर इस सीट पर सियासी 
चुनाव बेहद रोचक होने वाला है.


(विशाल रघुवंशी की रिपोर्ट)