CBI Action Against Sisodia: दिल्ली (Delhi) के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर 15 घंटे की कार्रवाई के बाद शुक्रवार देर रात सीबीआई (CBI) की टीम निकल गई. मनीष सिसोदिया के घर के साथ सीबीआई ने शुक्रवार को 7 राज्यों में 31 ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की. लेकिन ये शायद कार्रवाई की शुरुआत है. शायद यही वजह है कि मनीष सिसोदिया ने कहा कि CBI को ऊपर से कंट्रोल किया जा रहा है और उनका पर्सनल कंप्यूटर और फोन भी CBI की टीम ले गई है. खबरों के मुताबिक, मनीष सिसोदिया के घर से CBI ने कुछ अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए हैं.


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डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर CBI की रेड


बता दें कि शुक्रवार को सुबह सीबीआई ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर रेड की. ये छापेमारी शराब नीति से जुड़े घोटाले के आरोपों की जांच के लिए हुई. लेकिन शुक्रवार को दिल्ली की राजनीति का पहिया शराब, शिक्षा, सीबीआई और सियासत इन 4 शब्दों के इर्द-गिर्द घूमता रहा. मनीष सिसोदिया के पास दिल्ली में आबकारी विभाग भी है. छापे खत्म होने से पहले ही अरविंद केजरीवाल ने अपने करीबी सहयोगी और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को क्लीन चिट दे दी. लेकिन केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने चुटकी लेते हुए कहा कि दिल्ली के एक्साइज मिनिस्टर तो एक्सक्यूज मिनिस्टर निकले.


सीएम केजरीवाल ने किया सिसोदिया का बचाव


इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मीडिया के सामने अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी स्टोरी की कॉपी लेकर आए, जिसमें दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर केजरीवाल सरकार के प्रदर्शन की सराहना की गई है. सीएम केजरीवाल ने कहा कि बतौर शिक्षा मंत्री उनके काम की तारीफ अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने की. आम आदमी पार्टी ने न्यूयॉर्क टाइम्स की स्टोरी का जिक्र करते हुए एक तरफ जहां मनीष सिसोदिया का बचाव किया, वहीं बीजेपी ने इसपर सवाल उठाए.


क्या है दिल्ली की नई शराब नीति?


जान लीजिए कि दिल्ली की नई शराब नीति क्या है, जिसे लेकर इतना विवाद हो रहा है. इसी में घोटाले के आरोप पर मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई ने रेड डाली है. दरअसल नई शराब नीति लाने के पीछे केजरीवाल सरकार का मुख्य तर्क था कि वो शराब की कालाबाजारी खत्म करना चाहती है और सरकार का राजस्व बढ़ाना चाहती है. केजरीवाल सरकार मई 2020 में विधानसभा में नई शराब नीति लेकर आई. इसे नवंबर 2021 से लागू कर दिया गया. इसके तहत पूरी दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया. हर जोन में 27 लिकर वेंडर यानी शराब विक्रेता को इजाजत दी गई. नई शराब नीति में फैसला लिया गया कि अब दिल्ली सरकार शराब नहीं बचेगी यानी सरकारी दुकानों पर शराब नहीं बिकेगी. सिर्फ प्राइवेट दुकानों पर शराब मिलेगी.


हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी जाएगी. शराब दुकानों के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा. इस नीति के तहत दिल्ली में शराब की बिक्री की व्यवस्था में कई तरह के बदलाव आए. नई शराब नीति में दुकानदारों को छूट दी गई थी कि वो MRP पर शराब बेचने के लिए बाध्य नहीं हैं, इसलिए दुकानदारों ने जमकर छूट देनी शुरू की जिससे शराब की बिक्री बढ़ गई. नई शराब नीति में दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र सीमा 25 वर्ष से घटकर 21 वर्ष कर दी गई थी, लेकिन खुली जगहों पर शराब पीने पर रोक लगा दी गई.


बीजेपी ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति का विरोध किया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि राजस्व बढ़ाने के नाम पर केजरीवाल सरकार दिल्ली को शराब में डुबोना चाहती है. जगह-जगह शराब की नई दुकानें खुलने लगीं. नई आबकारी नीति लागू होने के बाद प्राइवेट शराब की दुकानों की संख्या 250 से बढ़कर 850 हो गई. छोटे शराब व्यापारियों ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार बड़े कारोबारियों के एकाधिकार को बढ़ावा दे रही है. इसके अलावा केजरीवाल सरकार पर नई शराब को लेकर कई गंभीर आरोप भी हैं.


इल्जाम है कि नई आबकारी नीति लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है. टेंडर जारी होने के बाद लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है. इसके लिए जानबूझकर तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया. इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ. इस मामले में मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट में शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ किए जाने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. हालांकि, नई आबकारी नीति पर विवाद होने के बाद केजरीवाल सरकार ने फैसला किया कि एक सितंबर से पुरानी आबकारी नीति फिर से लागू की जाएगी.


गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया के घर CBI की रेड के बाद 12 अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है. उपराज्यपाल ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर इन अधिकारियों का तबादला कर दिया. इन अधिकारियों में IAS उदित प्रकाश राय का नाम भी शामिल है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने हाल ही में गृह मंत्रालय से उदित प्रकाश राय के खिलाफ घूस लेने के एक मामले में कार्रवाई करने की सिफारिश की थी. आरोप था कि उन्होंने भ्रष्टाचार के दो मामलों में एक कार्यकारी अभियंता से कथित रूप से 50 लाख रुपये की रिश्वत ली थी. फिलहाल उदित प्रकाश राय को प्रशासनिक सुधार विभाग में विशेष सचिव बनाया गया है.


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