नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) ने गुरुवार शाम नई स्क्रैप पॉलिसी (New Scrap Policy) जारी कर दी गई है. इस पॉलिसी के तहत, न सिर्फ पुराने वाहनों को स्क्रैप करने को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि नए व्हीकल खरीदने के लिए आम जनता को फाइनेंशियल सपोर्ट भी मिलेगा.


फिटनेस टेस्ट हो गया जरूरी


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पॉलिसी के अनुसार, प्राइवेट गाड़ियों का 20 साल और कमर्शियल गाड़ियों का 15 साल बाद फिटनेस टेस्ट कराना होगा. इस दौरान यदि कोई गाड़ी फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाती है या आरसी रिन्यू नहीं हो पाती है तो उस गाड़ी को एंड ऑफ लाइफ व्हीकल (End of Life Vehicle) घोषित कर दिया जाएगा.


डी-रजिस्टर होंगे नए वाहन


नई नीति के तहत 15 साल बाद कमर्शियल वाहन (Commercial vehicles) और 20 साल बाद प्राइवेट वाहन खुद ही डी-रजिस्टर (De-Register) कर दिए जाएंगे. डी-रजिस्टर होने के साथ ही वाहनों को स्क्रैप (scrapped) भी कर दिया जाएगा.


आमजन को होंगे ये फायदे


कार की स्क्रैपिंग वेल्यू (गाड़ी की 4 से 6 परसेंट कीमत) कार के मालिक को दी जाएगी. इसके साथ उन्हें एक स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट भी मिलेगा, जिसके आधार पर नई गाड़ी खरीदने के लिए 5 परसेंट की छूट के अलावा रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स में 25 फीसदी भी भारी छूट मिल सकेगी. इस पॉलिसी के तहत लोग नए वाहनों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर की सेल्स और बढ़ेगी.


35 हजार लोगों को रोजगार


केंद्र सरकार के अनुसार, वर्तमान में ऑटोमोबाइल सेक्टर करीब 3.7 करोड़ लोगों को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से रोजगार देता है. इस सेक्टर का कुल टर्नओवर 7.2 लाख करोड़ रुपये का है. लेकिन स्क्रैपिंग पॉलिसी के लागू होने के बाद इस आंकड़े में यकीनन बढ़ोतरी होगी. साथ ही करीब 10,000 करोड़ का अतिरिक्त निवेश और 35,000 लोगों को डायरेक्ट रोजगार मिल सकेगा. जबकि इनडायरेक्ट रोजगार का मतलब एलाइड सर्विस सेक्टर, RaD जैसे क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मिलने की बहुत प्रबल संभावना है.


मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में कमी 


देश में करीब 8 लाख करोड़ का क्रूड ऑयल (Crude Oil) इम्पोर्ट होता है, जिससे देश की आर्थिक परिस्थिति पर दबाव पड़ता है. साथ ही पुराने वाहनों की पुरानी एमिशन टेक्नोलॉजी की वजह से बहुत ज्यादा प्रदूषण भी होता है. लेकिन यह स्क्रैपिंग पॉलिसी एक ऐसी परिस्थिति निर्माण करेगी, जिससे स्क्रैपिंग सेंटर, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, कंपोनेंट इंडस्ट्री और सामान्य लोग इन सबका फायदा उठा सकेंगे. पुरानी गाड़ियों की स्क्रैपिंग से जो मटेरियल तैयार होगा उससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सस्ते दाम में नई गाड़ी बनाने के लिए रॉ मटेरियल मिल सकेगा. इससे नई गाड़ियों की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में कमी आएगी. 


स्क्रैपिंग से मिलेगा रेयर एलिमेंट 


स्क्रैप मटेरियल से ऐसे एलिमेंट भी प्राप्त होंगे जो इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी बनाने के लिए रिसर्च में काम आ सकेंगे. उदहारण के लिए, NDFE मैगनेट, जो एक रेयर अर्थ एलिमेंट Neodymium से मिलता है. ये काफी महत्वपूर्ण मैगनेट है, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगता है. यह मैगनेट केवल इम्पोर्ट ही होता है. लेकिन अगर नियमित स्क्रैपिंग की जाए तो ये एलिमेंट भारत में ही बन सकता है. यानी लिथियम, एल्युमिनियम जैसे मेटल्स की वजह से इलेक्टॉनिक्स और आईटी इंडस्ट्री को भी सस्ते दाम में रॉ मटेरियल प्राप्त होगा.


इस पॉलिसी से होंगे ये फायदे


नए वाहन में पुराने वाहन के मुकाबले मेंटेनेंस कॉस्ट भी काफी काम आता है. नया वाहन लाइट वेट होता है, जिसकी वजह से फ्यूल एफिशिएंसी भी बढ़ती है. यानी कम तेल में आपकी गाड़ी ज्यादा चलती है और प्रदूषण भी कम होता है. ये एक ऐसी पहल है जिससे सारे स्टेकहोल्डर्स के हित को सुरक्षित रखा जाएगा, मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी, लोगों को रोजगार मिलेगा, आम जनता की आर्थिक बचत होगी, उनकी सड़क सुरक्षा का भी ख्याल रखा जाएगा और पर्यावरण के संबंध में पीएम मोदी का संकल्प भी पूरा हो सकेगा.


जल्द जारी होगा ड्राफ्ट नोटिफिकेशन


मंत्रालय अगले कुछ हफ्तों में ड्राफ्ट नोटिफिकेशन (Draft Notification) जारी करेगा जो सभी स्टेकहोल्डर्स की कमेंट और विचार जानने के लिए 30 दिनों तक पब्लिक डोमेन में रहेगा.


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