Champai Soren: क्या चंपई फंस गए BJP के चंगुल में? `कोल्हान टाइगर` ने खत में बताई अपनी बेबसी
Jharkhand Ex CM: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आधिकारिक रूप से अब ऐलान कर दिया है कि वे 30 अगस्त को बीजेपी ज्वाइन करेंगे. इससे पहले उन्होंने झारखंड की जनता के नाम एक खत लिखा और अपनी पीड़ा बताई.
Jharkhand News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बीजेपी का दामन थामने के फैसले के बाद अब अपने दिल की पीड़ा एक खत में बयान की है. इस खत में उन्होंने पार्टी में अपनी लाचारी का हवाला देते हुए आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व को बचाने के लिए बीजेपी के साथ जाने की बात कही है. इधर कांग्रेस ने कहा है कि चंपई बीजेपी के चंगुल में फंस गए हैं.
चंपई सोरेन ने आखिरकार अटकलों पर विराम लगाते हुए भाजपा का दामन थामने का फैसला किया है. वो 30 अगस्त को रांची में भाजपा में शामिल होंगे. इस फैसले के बाद 'कोल्हान टाइगर' ने मंगलवार शाम सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की. इसमें उन्होंने पार्टी में अपनी बेबसी बताई. शिबु सोरेन की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं. इसके चलते उनके पास कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां वे अपनी पीड़ा व्यक्त कर पाते.
खत में उन्होंने कहा कि 18 अगस्त को एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने उन्होंने अपनी बात रखी थी. उसके बाद से वे लगातार झारखंड की जनता से मिल कर उनकी राय जानने का प्रयास करते रहे. उन्होंने कहा कि कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया.
चंपई ने कहा कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है.
खत में आगे उन्होंने कहा कि आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा.
चंपई ने कहा कि इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है. बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही हैं. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है.
उधर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि 'चंपई सोरेन भाजपा के चंगुल में फंस गए हैं. राजेश ठाकुर ने कहा कि चंपई सोरेन बुरी तरह भाजपा के चंगुल में फंस गए हैं. उनके साथ हमारी पूरी सहानुभूति है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनको बहुत सम्मान दिया. उन्होंने अपनी पत्नी, भाई या परिवार के किसी अन्य सदस्य के बजाय चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी.
अब चंपई सोरेन कर रहे हैं कि उन्हें अपमानित किया गया, जबकि उनसे ज्यादा तो किसी और नेता को सम्मानित ही नहीं किया गया. अब भाजपा अपने पूर्व चार मुख्यमंत्रियों को नाकाबिल मानने लगी है. प्रदेश अध्यक्ष को पूरी तरह फेल कर रखा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में अलग-अलग प्रदेशों से मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को बुलाया जा रहा है. इसके बावजूद उन्होंने चंपई सोरेन पर भरोसा जताया है. भाजपा का मूल कार्यकर्ता आज कह रहा है कि ये दलबदलू की पार्टी बनकर रह गई है. किसी भी नेता का पद और कद पार्टी की बदौलत होता है.
बाबू लाल मरांडी 14 सालों तक विभिन्न राजनीतिक दलों के ईद-गिर्द घूमते रहे, गठबंधन करते रहे. अब वही हाल चंपई सोरेन के साथ होगा। मुझे नहीं पता किसने उनको बहलाया, फुसलाया, लेकिन मेरी सहानुभूति उनके साथ है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भाजपा के पास कार्यकर्ता भी नहीं रहेंगे, क्योंकि अब सब को पता चल चुका है कि भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए अपनी विचारधारा और कार्यकर्ताओं के साथ समझौता करती है. अपने कार्यकर्ताओं को धता बताकर दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल कराती है.