Chandrayaan-3 Landing Video: भारत ने स्पेस के क्षेत्र में ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो अब तक कोई हासिल नहीं कर पाया. भारत के चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की है. आज तक कोई देश इस इलाके में लैंड नहीं कर पाया. लेकिन आखिर दक्षिणी ध्रुव कैसी जगह है, वहां का तापमान कैसा है, आइए आपको बताते हैं.


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नासा के अनुसार चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव रहस्य, विज्ञान और साज़िश से भरा है. यहां ऐसे गहरे गड्ढे हैं, जो अरबों वर्षों से सूरज की रोशनी से बचे हुए हैं, जहां तापमान आश्‍चर्यजनक रूप से -248 डिग्री सेल्सियस (-414 एफ) तक गिर सकता है. खास तौर से चंद्रयान -3 मिशन का हिस्सा भारत का चंद्रमा लैंडर योजना के मुताबिक, बुधवार शाम को दक्षिणी ध्रुव में चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से अपने चार पैर जमा चुका है.


खुलेंगे चांद के नए राज


 पानी एक प्रमुख कारक है, जिसके जरिए वैज्ञानिक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आसपास के क्षेत्र का पता लगाना चाहते हैं.


वैज्ञानिकों का मानना है कि जमे हुए पानी लाखों वर्षों से ठंडे ध्रुवीय क्षेत्रों में जमा हुआ होगा और यह वैज्ञानिकों को हमारे सौर मंडल में पानी के इतिहास का विश्‍लेषण करने और समझने के लिए एक अनूठा नमूना दे सकता है.


अगर चंद्रमा पर पानी की बर्फ निकालना संभव हो जाता है, तो कुछ लोगों को उम्मीद है कि आखिरकार इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्रियों कर सकते हैं, जिससे क्रू मिशनों पर अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले पानी की मात्रा कम हो जाएगी.


इसके अलावा, पानी के पार्टिकल्स को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं में तोड़ा जा सकता है - जो शायद एक दिन रॉकेट के लिए प्रोपेलेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह भारत के लिए एक बड़ा मौका है और यह उन्हें स्पेस सुपरपावर की लिस्ट में ऊपर उठाता है.


चंद्रमा पर उतरना बहुत आसान नहीं है, जैसा कि इस हफ्ते रूस के प्रयास से साबित हुआ है और कई मिशन विफल हो गए हैं, जिसमें 2019 में भारत का पहला प्रयास भी शामिल है.


भारत बना स्पेस की नई महाशक्ति


लेकिन यह दूसरी बार भाग्यशाली रहा, और भारत अब तीन अन्य देशों - अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन में शामिल हो गया है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह को सफलतापूर्वक छुआ है. वे अब उस क्षेत्र का पता लगाने के लिए तैयार हैं, जहां पहले कोई अन्य अंतरिक्ष यान नहीं गया है और वो है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव.


वैज्ञानिकों की रुचि इसमें बढ़ रही है. इस क्षेत्र में गड्ढे स्थायी रूप से छाया में रहते हैं और उनमें पानी जमा हुआ होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में ह्ययूमन एक्सप्लोरेशन के लिए यह एक अहम संसाधन होगा - नासा का आर्टेमिस मिशन, जो अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेज रहा है, इस क्षेत्र को भी टारगेट कर रहा है.


(इनपुट-IANS)