Helmet For Chinldren On Road: हरियाणा के महेंद्रगढ़ में स्कूल बस हादसे की चर्चा देशभर में है. स्कूल की लापरवाहियों की वजह से कैसे 6 मासूमों की जान चली गई. ऐसे में ये जानना चाहिए कि लापरवाही नहीं करनी चाहिए. वैसे तो कोई भी बड़ा हादसा होने पर हम सब स्कुल की लापरवाहियों की बात करते है. लेकिन क्या सिर्फ इस तरह के हादसों के लिए स्कूल जिम्मेदार होता है ?. क्या इस तरह के हादसों के लिए बच्चों के माता पिता जिम्मेदार नहीं होते ?. ये बात आपको अजीब लग सकती है. सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि बच्चों के माता पिता भी अपने मासूमों की जान के साथ सरेआम और हर रोज़ खिलवाड़ कर रहे है.


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असल में स्कूलों में बच्चों का नया सेशन शुरू हो चुका है. कोई बस में बैठकर स्कूल जा रहा है, तो कोई ई रिक्शा में बैठकर. और कोई अपने पेरेंट्स के साथ two-wheeler पर बैठकर. लेकिन यकीन मानिए, ऐसी कोई जगह नहीं है जहां बच्चों की सुरक्षा को नजरअंदाज ना किया जा रहा हो. पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ ऐसी घोर लापरवाही बरत रहे है जो उनकी जान पर कभी भी भारी पड़ सकती है.


ZEE MEDIA संवाददाता देश के अलग-अलग राज्यों में स्कूलों के बाहर पहुंचे. बच्चों की जान से हो रहे खिलवाड़ पर हमने पेरेंट्स से बात की. लेकिन हर पेरेंट्स के पास गजब का बहाना था. छोटे बच्चे माता-पिता के भरोसे होते है. लेकिन अब तो पेरेंट्स ने भी बच्चों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. दिल्ली हो या नोएडा या फिर जम्मू और लखनऊ. हर जगह बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे है पेरेंट्स..तस्वीरें झूठ नहीं बोलती.


सुरक्षा पर एक बड़ी मुहीम..
महेंद्रगढ़ हादसे के बाद. ज़ी मीडिया ने आज बच्चों की सुरक्षा पर एक बड़ी मुहीम छेड़ी. हमारे संवाददाता अलग अलग राज्यों में गए. रिएलिटी चेक किया. लेकिन हर जगह बच्चों की जान जोखिम में दिखी. चिराग लेकर भी ऐसा बच्चा ढूंढे नहीं मिला जिसके पेरेंट्स ने two-wheeler पर अपने बच्चे को हेलमेट पहना रखा हो.


जी न्यूज की पड़ताल..
अभी तक बच्चे बहाने मारते थे. लेकिन यहां तो अभिभावक ही बच्चे बने हुए है. हेलमेट ना पहनने का सवाल क्या हुआ बहानों की बौछार कर दी.. वैसे बच्चों की सुरक्षा की फिक्र ना अभिभावकों को है और ना ही स्कूल प्रशासन को.. जी न्यूज की पड़ताल के दौरान ग्रेटर नोएडा के विजडम ट्री स्कूल की प्रिंसिपल दौड़े दौड़े आई और हमसे दबंगई से कैमरा और पड़ताल बंद करने के लिए बोलने लगीं. यही हाल स्कूल के दूसरे स्टाफ का था. जो शिक्षा की बात कम और दबंगई की बात ज्यादा कर रहे थे.


नोएडा में पेरेंट्स बच्चों की सुरक्षा से घोर लापरवाही कर रहे थे तो दिल्ली वाले घनघोर लापरवाही. यहां अभिभावक टू व्हिलर पर सुपरमैन बनकर आ रहे है. किसी का बच्चा बाइक की टंकी पर बैठा है तो किसी का बच्चा पिछली सीट पर. लेकिन यहां भी हेलमेट गायब. और पूछने पर बस एक ही जवाब. सॉरी। बहुत से बच्चे ई रिक्शा से भी स्कूल पहुंचते है. लेकिन यहां भी लापरवाहियों का अंबार लगा है जो कभी भी हादसे को न्योता दे सकता है. जिस ई रिक्शा में 4 लोग बैठ सकते है..वहां 6 से 7 स्टूडेंट्स भर भर कर स्कूल पहुंच रहे है.


खुद कैसे कानून तोड़ रहे?
सिर्फ जगह बदलेगी, लेकिन तस्वीर एक जैसी नजर आएगी. बहाने भी एक जैसे दिखेंगे. जम्मू में ज़ी मीडिया संवाददाता ने बच्चों को स्कूल से लेकर लौट रहे कई पेरेंट्स से बात की. अभिभावकों ने कैमरे पर कानून वाला ज्ञान तो दिया, लेकिन खुद कैसे कानून तोड़ रहे है. बच्चे की सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहे है. ये किसी को नहीं दिखता.


अब मायानगरी मुंबई की तस्वीरें भी देख लीजिए. यहां भी पेरेंट्स ना खुद हेलमेट पहनना जरूरी समझते है और ना बच्चों को पहनाना. अब सोचिए कोई हादसा होगा तो कौन जिम्मेदार होगा. महेंद्रगढ़ जैसा हादसा होता है तो स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर बात होती है. लेकिन हम सब खुद अपने बच्चो को कितनी सुरक्षा दे रहे हैं इसका सच लखनऊ और पटना की सड़कों पर साफ साफ दिखता है.


हमारी पड़ताल से एक बात तो साफ हो गई की बच्चों की सुरक्षा की चिंता ना अभिभावकों को है और ना ही स्कूलों को..एक को बच्चे को जल्दी जल्दी स्कूल भेजना है और दूसरे को फीस का खेल खेलना है. हमारी ये रिपोर्ट देखकर आप समझ गए होंगे कि अभिभावक किस कदर अपने बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे है. ना खुद हेलमेट पहन रहे हैं और ना बच्चों को हेलमेट पहना रहे है.


सड़क दुर्घटना में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है. लेकिन इसके बावजूद हमारे यहां हेलमेट पहनने को सिर पर बोझ की तरह माना जाता है. वर्ष 2022 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि


- टू व्हिलर पर 9 महीने से 4 साल तक के बच्चों को बैठाकर ले जाने वालों को सेफ्टी बेल्ट लगानी होगी.
- साथ ही बच्चों को क्रैश हेलमेट भी लगाना होगा.
- टू व्हिलर पर अगर बच्चा बैठा है तो वाहन की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.


अब सवाल यह है कि क्या आपने आजतक किसी बच्चे को हेलमेट लगाए देखा है. या आपको इन नियमों का पता है. शायद आपको नहीं पता होगा. क्योंकि हमारे देश में हेलमेट को गंभीरता से लिया ही नहीं जाता. सड़कों पर फरार्टे से दौड़ते टू व्हिलर चालकों को स्पीड में गाड़ी चलाने का तो ध्यान रहता है. लेकिन हेलमेट का ध्यान नहीं रहता. और यही गलती कई बार जान पर भारी पड़ती है. एम्स ट्रॉमा सेंटर की स्टडी बताती है कि


- road accident का शिकार होने वाले दोपहिया सवारों में से 40 प्रतिशत pillion rider यानी पीछे बैठा व्यक्ति होता है. इनमें से ज्यादातर ने हेलमेट नहीं पहना होता.
- दो पहिया वाहनों के हादसों में सबसे ज्यादा शिकार 20 से 35 वर्ष के युवा होते है.
- AIIMS Trauma Center की Study बताती है कि ज्यादातर मामलों में बिना हेलमेट पहने दो पहिया वाहनों पर सवार लोगों की सिर में गंभीर चोट लगने या बहुत खून बहने की वजह से मौत होती है
- हालांकि इन accidents में जान जाने वालों की संख्या 2 प्रतिशत थी, लेकिन 50 प्रतिशत को किसी ना किसी तरह की fracture या disability हुई.
- इनमें से 5 से 10 प्रतिशत को ऐसी चोट लगी जो पूरी तरह से कभी ठीक नहीं हो पाई.


ग़लती चाहे सड़क पर चलने वाले की हो, या फिर सिस्टम की. उस दर्द की कोई भरपाई नहीं हो सकती. जो इन हादसों में जान गंवाने वालों के परिवारों को भुगतना पड़ता है.
- जनवरी से जुलाई 2023 के बीच दिल्ली एम्स ट्रामा सेंटर में कुल 3,780 रोड एक्सीडेंट के केस आए थे.
- जिसमें 9 हज़ार से ज्यादा लोग घायल हुए. कुल एक्सीडेंट में से 74% दो पहिया वाहन चालक थे।
- 2022 में 5,436 एक्सीडेंट के केस एम्स ट्रॉमा सेंटर में आए थे. जिनमें 15,399 लोगों को चोटें आई थी. कुल एक्सीडेंट में से 70 प्रतिशत दोपहिया वाहन चालक थे.


हेलमेट क्यों नहीं पहना. इसके एक या दो नहीं, दो पहिया वाहन चालकों के पास इसके 100 बहानें है. लेकिन इसके बावजूद इन्हें जान जोखिम में डालने में मजा आता है. ये गलती आप बिल्कुल मत करिए, ड्राइव करते समय हेलमेट जरूर लगाइए, अपने बच्चों को भी हेलमेट पहनने की आदत डालिए. हेलमेट आपके सिर पर बोझ नहीं, बल्कि आपका सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है.
(Reporter - Shivank Mishra+ Anushka Garg+ Nitish Pandey+ Prashant Jha+ Rajat Vohra)