CHINA big conspiracy: भारत-चीन सीमा (LAC) पर हालात अभी भी पूरी तरीके से सामान्य नहीं हैं और लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा पर चीन की तरफ से होने वाली किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से अलर्ट है. ज़ी मीडिया को केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि चीन एलएसी पर भारतीय सैनिकों पर नज़र रखने के लिए पीएलए (PLA) की सभी यूनिटों में बड़ी संख्या में ड्रोन को शामिल कर रहा है जिससे भारतीय सैनिकों की बॉर्डर पर होने वाली पेट्रोलिंग से लेकर उनके किसी भी मूवमेंट की जानकारी को हासिल किया जा सके.


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केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि चीन अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर से सटे एलएसी पर तैनात चीनी सैनिकों को खास तरीके के "Tethered UAV" मुहैय्या करा रहा है, जिससे 24 घंटे भारतीय सैनिकों पर नज़र रखी जा सकती है.


चीन ने हाल ही में भारत से सटे बार्डर के इलाकों पर अपनी निगरानी को बढ़ाने के लिए सीमा पर तैनात पीएलए की सभी यूनिटों को "Tethered UAV" मुहैय्या कराने के लिए टेंडर जारी किया है जिसके तहत बड़ी संख्या में इन ड्रोन्स की खरीद की जानी है. करीब 6.4 लाख यूएस डालर के इस प्रोजक्ट के पूरा हो जाने के बाद अरुणांचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक एलएसी के पास तैनात चीनी सैनिकों के सभी यूनिटों के पास ऐसे ड्रोन्स मौजूद हो जायेगें.


टेथर्ड यूएवी (Tethered UAV) एक मानव रहित हवाई वाहन है जो बेस स्टेशन से केबल के जरिये लिंक होता है. इस ड्रोन के जरिये दुश्मन पर दूर से ही नज़र रखी सकती है. बेस स्टेशन से केबल के जरिए कनेक्ट होने की वजह से टेथर्ड यूएवी लंबे समय तक हवा में रह सकता है और इसमें बैटरी की जरूरत नहीं होती है. 


टेथर्ड यूएवी से किये जाने वाले कम्यूनिकेशन काफी सिक्योर यानि सुरक्षित होते हैं. टेथर्ड यूएवी में हाई पावर जूम कैमरे लगे हुए हैं जिससे किसी भी टारगेट की तस्वीर काफी बेहतर तरीके से ली जा सकती है. टेथर्ड यूएवी के जरिये दिन हो या रात 24 घंटे दुश्मन पर नजर रखी जा सकती है.


देखा जाये तो पिछले साल 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई थी जिसमें काफी संख्या में चीनी सैनिकों के घायल होने की जानकारी सामने आई थी. भारतीय सैनिकों ने चीन सैनिकों की तरफ से भारतीय इलाके में अतिक्रमण की कोशिशों का नाकाम कर दिया था. गलवान में भारतीय सैनिकों के हाथों पिटने के बाद तवांग में भी चीनी सैनिकों के घायल होने के बाद से चीन काफी परेशान है. एलएसी पर चीन के इलाकों में तैनात पीएलए के यूनिटों को चीन आधुनिक बना रहा है जिसके तहत बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों को सर्विलांस सिस्टम, रडार , यूएवी और रोबोटिक हथियार मुहैया करा रहा है जिससे वो भारतीय सैनिकों का मुकाबला कर सके.


इस साल जुलाई महीने में केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों  की रिपोर्ट से खुलासा किया था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( PLA ) वेस्टर्न थिएटर (Western Theater) में रोबोटिक एआई डॉग (Robotics Artificial intelligence Dogs) की तैनाती  कर रही है. जानकारी के मुताबिक हाल ही में PLA  ने बड़ी संख्या में ऐसे रोबोटिक डॉग के साथ एक मिलिट्री एक्सरसाइज की है जिसमें टैंक, गन्स के साथ टारगेट पर  हमले के लिए रोबोटिक डॉग को भी शामिल किया गया था. सभी रोबोटिक डॉग को सेंसर और हथियारों से लैस किया गया था जो टारगेट पर हमले करते देखे गये थे.


खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक रोबोटिक डॉग को वेस्टर्न थिएटर में शामिल कर चीन  भारत से लगती सीमा के नजदीक तैनात कर रहा है. लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश से लगती भारत चीन सीमा पर कई ऐसे इलाके हैं जहां ऑक्सीजन की काफी कमी है साथ ही कई इलाकों का तापमान -40 डिग्री तक है ऐसे  में चीन के लिए अपने सैनिकों को तैनात करना आसान नहीं है. यही वजह है कि चीन भारतीय सैनिकों पर नज़र रखने के लिए जहां सर्विलांस सिस्टम को भारतीय सीमा के नजदीक लगा रहा है वहीं गलवान जैसे हालात से निपटने के लिए चीन रोबोटिक डॉग को सीमा के नजदीक तैनात करने की योजना पर काम कर रहा है.


केन्द्रीय सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी के मुताबिक रोबोटिक डॉग को भारत-चीन सीमा के उन इलाकों में तैनात किया जा सकता है जहां एक सैनिक के लिए काफी विषम परिस्थितियां हैं. 
कई ऐसे इलाके हैं जहां ऑक्सीजन की काफी कमी है  तापमान -40 डिग्री तक पहुंच जाता है. ऐसी जगहों पर रोबोटिक डॉग का इस्तेमाल कर चीन भारतीय सैनिकों के लिए नई मुश्किलें पैदा
कर सकता है. रोबोटिक डॉग का इस्तेमाल कर चीन अपने सैनिकों की मौतों का आंकड़ा भी कम कर सकती है. 


जानकारों के मुताबिक  रोबोटिक डॉग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से युक्त है जो दुश्मन के तरफ से आने वाले किसी भी खतरे का अंदाजा लगा कर हमले करने में माहिर है यही नहीं  एक आम सैनिक के मुकाबले बेहद कम समय में ऐसे रोबोटिक डॉग को दुश्मन पर हमले के लिए तैयार  किया जा सकेगा. चीन के साथ हुई गलवान की लड़ाई के बाद चीन को ये अंदाजा हो गया था कि उसके सैनिक ठंड और खराब मौसम का मुकाबला नहीं कर सकते. भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन ने गलवान की घटना के बाद अपने सैनिकों के लिए बड़ी संख्या में  हथियार और आपूर्ति दोनों ले जाने में सक्षम दर्जनों मानव रहित वाहन तिब्बत भेजे थे, जिनमें से अधिकांश सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किए गया था.