Kailash Mansarovar: हर-हर महादेव की गूंज और सनातन आस्था की ताकत के आगे चीन को आखिरकार झुकना पड़ा. पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू करने पर चीन ने सहमति जता दी है. यह निर्णय भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीतिक रणनीति की जीत है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

गलवान के बाद बढ़ा तनाव


साल 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद भारत और चीन के रिश्तों में तनाव चरम पर था. चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को रोकने के लिए कोविड-19 का बहाना बनाया, लेकिन असली मकसद भारत पर दबाव बनाना था. इसके बावजूद भारत ने अपने मजबूत कूटनीतिक कदमों से चीन को हर मोर्चे पर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.


अजीत डोवाल और एस जयशंकर की रणनीति


इस पूरे घटनाक्रम में दो प्रमुख चेहरे उभरकर सामने आए.. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर. डोवाल ने बैक चैनल्स के जरिए चीन को भारत का कड़ा रुख स्पष्ट किया, जबकि जयशंकर ने सार्वजनिक मंचों पर यह साफ कर दिया कि सीमा पर तनाव के साथ कोई भी दोस्ताना संबंध संभव नहीं है.


चीन की चालबाजियां और भारत का जवाब


गलवान टकराव के बाद चीन ने कई बार भारतीय सेना की पेट्रोलिंग रोकने की कोशिश की. उसने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने और भारत के खिलाफ हाइड्रोलॉजिकल डाटा साझा करने से इनकार कर दिया. लेकिन भारत की सख्त नीति के चलते चीन को अंततः अपने फैसले बदलने पड़े. अब भारत को ब्रह्मपुत्र नदी का डाटा मिलेगा और भारतीय सेना देपसांग और डेमचॉक जैसे इलाकों में पेट्रोलिंग कर सकेगी.


कैलाश मानसरोवर यात्रा पर सहमति


बीजिंग में भारत के विदेश सचिव और चीन के विदेश मंत्री वॉन्ग यी के बीच हुई बातचीत के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति बनी. अब तिब्बत के रास्ते भारतीय श्रद्धालु पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे. इसके साथ ही, भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवा भी शुरू की जाएगी.


भारत की एक्ट ईस्ट नीति का असर


भारत ने चीन को घेरने के लिए अपनी एक्ट ईस्ट नीति को मजबूत किया. वियतनाम को स्पीड बोट्स और फ्रिगेट्स, फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल, और इंडोनेशिया के साथ रक्षा समझौते ने चीन को चौतरफा दबाव में ला दिया. भारत ने साफ संदेश दिया कि अब नया भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि चीन के पड़ोस में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा.


कैलाश मानसरोवर यात्रा


चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला अपनी सॉफ्ट डिप्लोमेसी के तहत लिया है. इसके जरिए वह भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया है कि रिश्तों की बुनियाद केवल कूटनीतिक सहमतियों पर ही टिकी होगी.