China Population: औलाद नहीं चाहते मां-बाप, चीन की आबादी घटने का दुनिया पर दिखेगा असर!
India China Population: आज भी बढ़ती आबादी को लेकर चिंता जताई जाती है लेकिन चीन में जैसे जन्म दर घट रही है उसने दुनियाभर में नई टेंशन पैदा कर दी है. दरअसल, आबादी में कमी वाला चीन अकेला देश नहीं है. भारत में भी इसका असर देखा जा रहा है.
Population China News: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में लगातार दूसरे साल 2023 में आबादी में गिरावट दर्ज की गई है. चीन ने एक बच्चा नीति के जरिए आबादी पर नियंत्रण के लिए दशकों तक कठोर रवैया अपनाया. 2016 में इसे रद्द कर बच्चे पैदा करने को बढ़ावा दिया जाने लगा. हालांकि यह कोशिश नाकाम रही क्योंकि एक बार बच्चों के जन्म में गिरावट होना शुरू हो गई तो कोई भी देश इस प्रक्रिया को जल्दी से पलट नहीं सकता है. चीन में एक तरफ लोग देर से शादी कर रहे हैं तो काफी लोग संतान पैदा नहीं कर रहे हैं. इसके अलावा पढ़ाई और पालन-पोषण का भारी भरकम खर्च देख काफी लोग केवल एक बच्चा चाहते हैं. यही वजह है कि 2016 से चीन की जनसंख्या वृद्धि दर कम हो रही है.
चीन अकेला देश नहीं
चीन की जनसंख्या 2023 में 20 लाख 80 हजार घटकर 1.4097 अरब रह गई जबकि भारत 2023 में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि आबादी घटने वाले देशों की संख्या 2022 में 41 थी जो 2050 में बढ़कर 88 पहुंच सकती है. सबसे ज्यादा चुनौती यह है कि आज के समय में संपन्न देशों की तुलना में निम्न मध्यम आय वाले देशों में आबादी तेजी से घट रही है.
50 साल में भारत में क्या हुआ
भारत को अपने यहां कुल जन्म दर 5 से दो पर लाने में महज 50 साल लगे जबकि यूके में ऐसा करने में 130 साल लग गए थे. चीन की स्थिति आगे भी ऐसी ही रहती है तो वर्कफोर्स के बूढ़ा होने से उत्पादकता पर असर पड़ेगा, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास भी प्रभावित होगा.
वैसे, भारत में क्या सीन है यह कुछ समय बाद पता चलेगा. सरकार ने संसद में बताया है कि आम चुनाव के बाद जनगणना का काम शुरू होगा. इससे यूएन के उस प्रोजेक्शन पर मुहर लगेगी जिसमें कहा गया है कि भारत 2023 में दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया. फिलहाल भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी आर्थिक तरक्की को रफ्तार देने की है.
भारत में जन्म का रेट 2 से भी कम
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारतीय परिवार अब 2 बच्चे ही चाहते हैं. वास्तव में यह 1.6 है, जो जर्मनी के बराबर है. इससे साफ है कि आने वाले दशकों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि दर घट सकती है और वर्कफोर्स पर इसका असर देखा जाएगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की आबादी में अगले कुछ वर्षों में और कमी आ सकती है. चीन ने 1949 के बाद से जन्म दर का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था और तब से अब तक 2023 में सबसे कम जन्म दर रही. पिछले साल प्रत्येक 1,000 लोगों पर 6.39 जन्म हुए जबकि 2022 में यह संख्या 6.77 थी. चीन ने मई 2021 में ‘तीन संतान नीति’ लागू की थी और जनसंख्या बढ़ाने के कई उपाय किए गए.
टेंशन की बात क्या है?
जन्म दर में गिरावट चीन के लिए लंबे समय से आर्थिक और सामाजिक चुनौती बनी हुई है. चीन की औसत आबादी लगातार बुजुर्ग हो रही है, जिसके कारण वर्कफोर्स यानी काम करने वालों की संख्या में कमी आ सकती है. समय के साथ उसका आर्थिक विकास धीमा पड़ सकता है. इसके अलावा बड़ी संख्या में बुजुर्ग आबादी को सेवाएं उपलब्ध कराने की देश की क्षमता के लिए भी चुनौती पैदा हो सकती है.