नई दिल्ली: भारतीय कूटनीति ने चीन को ये समझा दिया है कि वो अबकी बार पर्वत से टकरा रहा है. वर्ष 1962 से अब  तक जो नहीं हुआ था, वह 2020 में हो रहा है. भारत की सेना ने उन इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया है. जहां 1962 के बाद से हिन्दुस्तान का कोई सैनिक जाता भी नहीं था.उन जगहों पर अब तिरंगा लहरा रहा है.


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भारतीय सेना ने फिंगर 4 के पास की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाया
लद्दाख में भारतीय सेना ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है. भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे की कई महत्वपूर्ण चोटियों को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है. ये चोटियां Finger 4 इलाके के आसपास हैं. ये वही इलाका है, जहां पर सबसे पहले तनाव की शुरुआत हुई थी. अब भारतीय जवान पैंगोंग Lake के पास Finger 4 से लेकर Finger 8 तक चीन सेना की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं. अब तक भारतीय सैनिक नीचे के इलाकों में होते थे और चीन के सैनिक ऊंचाई से उन पर नजर रखा करते थे. लेकिन अब यहां पर तस्वीर बदल चुकी है.


1962 तक भारत की सीमा क्या थी और अब क्या है?
वर्ष 1962 की लड़ाई में चीन ने लद्दाख के पूरे अक्साई चिन इलाके और उससे लगे पूर्वी लद्दाख के बड़े इलाके की जमीन पर कब्जा कर लिया था. यह लगभग 40 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका है. जिसे आज चीन अपना इलाका कहता है और इस इलाके में उसकी सेना का ही कब्जा है. चीन के इस अतिक्रमण के बाद भारत और चीन के बीच एक अस्थायी रेखा खींची गई थी, जिसे आज हम Line of Actual Control या LAC कहते हैं.चीन ने धोखे से पिछली सर्दियों में फिंगर एरिया पर कर लिया था कब्जा


पैंगोंग Lake के करीब Finger 4 से Finger 8 तक के इलाके को लेकर भारत और चीन की सेना के बीच विवाद है. अब तक Finger 4 से Finger 8 के बीच दोनों ही देशों की सेनाएं पैट्रोलिंग करती रही हैं. लेकिन इस साल सर्दियों के बाद जब भारतीय सैनिक पैट्रोलिंग के लिए गए तो चीन के सैनिकों ने उन्हें Finger 4 केपास ही रोक दिया. तब से भारत की सेना लगातार मांग करती रही है कि चीन के सैनिक ये इलाका खाली करके वापस Finger 8 तक जाएं. लेकिन चीन अब तक अड़ा हुआ था. भारत मानता है कि Line of Actual Control यानी LAC फिंगर 8 तक है. जबकि चीन अब इसे Finger 4 के पास बता रहा है. अब इस इलाके की ऊंची पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी से चीन के सैनिकों पर दबाव बढ़ गया है.


भारतीय सेना के लिए 10 दिन में दूसरी बड़ी सफलता
भारत के लिए लद्दाख में 10 दिन के अंदर ये दूसरी बहुत बड़ी सफलता है.  29 और 30 अगस्त की रात पैंगोंग Lake के दक्षिणी किनारे पर भारत ने कई पहाड़ियों को अपने अधिकार में ले लिया था. ये सारी पहाड़ियां वो हैं जो भारत के नक्शे में तो थीं, लेकिन वर्ष 1962 के युद्ध के बाद से आजतक भारतीय सैनिक कभी उस इलाके में नहीं गए थे. पिछले 10 दिन में चीन इस इलाके पर दोबारा कब्जा करने की कई कोशिश कर चुका है. लेकिन हर बार भारतीय जवानों ने चीन की कोशिशों को असफल कर दिया है.


पैगोंग झील के जरिए चीनी सैनिकों ने की घुसपैठ की कोशिश
दो दिन पहले यानी 8 सितंबर को चीन के सैनिकों ने पैंगोंग झील के रास्ते भारत की सीमा में घुसने की कोशिश की थी. चीन के सैनिक दो Motorboats में आए थे. उन्होंने Finger 4 से आगे बढ़ने की कोशिश की . लेकिन वहां मौजूद भारतीय सैनिकों ने उनको पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया. इसके बाद भारतीय सेना ने  Finger 4 के इलाके में ऊंची पहाड़ियों को अपने अधिकार में ले लिया. अब इस इलाके में चीन के लिए Motorboat से घुसपैठ आसान नहीं होगी.


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चीन को नहीं सूझ रहा भारत से पार पाने का उपाय
इससे पहले 7 सितंबर को भी चीन की सेना ने घुसपैठ की कोशिश की थी. चीन के सैनिक रेजांग ला के पास मुकपरी की पहाड़ियों पर कब्जा करना चाहते थे. लेकिन भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद चीन के सैनिक पीछे हट गए. चीन को अब इस बात का एहसास हो चुका है कि लद्दाख में वो एक पर्वत से टकरा गया है और वो पर्वत है हिंद की सेना.हिन्दुस्तान की कूटनीति जिससे चीन का पार पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.


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