केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) से सोमवार को जब संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के बीच हुई धक्का-मुक्की के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसकी तरफ से कोई चूक नहीं हुई. सीआईएसएफ ने यह भी कहा कि सांसदों द्वारा आरोप लगाए जाने पर वह चुप रहना पसंद करेगा. संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ संभाल रहा है. सीआईएसएफ के उप महानिरीक्षक (परिचालन) श्रीकांत किशोर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई गलती (सीआईएसएफ की ओर से) नहीं हुई. अगर चूक से आपका आशय कुछ हथियारों को अंदर ले जाने देने से है तो मैं आपको बता सकता हूं कि किसी हथियार की अनुमति नहीं दी गई.’’


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जब उनसे सांसदों के आरोप-प्रत्यारोप के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘जब माननीय सदस्य आरोप लगाते हैं तो बल चुप रहना पसंद करेगा.’’ किशोर ने कहा कि सीआईएसएफ संसद के मकर द्वार के पास हुई घटना के मामले में कोई जांच नहीं कर रहा.


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संसद परिसर में गत गुरुवार को बाबासाहेब आंबेडकर से संबंधित मुद्दे पर विपक्ष और सत्तापक्ष के सदस्य प्रदर्शन करते हुए एक दूसरे के सामने आ गए तथा कथित तौर पर धक्का-मुक्की की. इसमें भाजपा के दो सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत चोटिल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा की शिकायत पर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी. किशोर ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार संसद में प्रवेश करने वाले सांसदों की जांच नहीं की जाती.


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इस साल जून में संसद की सुरक्षा का प्रभार संभालने वाले सीआईएसएफ के खिलाफ शिकायतों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि सांसद, परिसर में काम करने वाले कर्मचारी और आगंतुक लोग बल के काम से ‘बहुत संतुष्ट और खुश’ हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने जवानों को इसका (संसद सुरक्षा की) उचित प्रशिक्षण दिया है. सांसद समेत सभी लोग परिसर में सुरक्षा को और उन्नत बनाने में योगदान दे रहे हैं. संसद की सुरक्षा सर्वोपरि है.’’ किशोर ने कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की एक सीट से नकदी मिलने सहित सुरक्षा संबंधी सवालों का जवाब देने में संसद का सुरक्षा विभाग सक्षम होगा.


(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)