Supreme Court: `जब जाति की वजह से इंटर्नशिप पर नहीं रखा`, सीजेआई ने सुनाया ये किस्सा
CJI DY Chandrachud: सीजेआई (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने एक किस्सा सुनाया कि जब एक लॉ ग्रेजुएट को उसकी जाति पूछने के बाद इंटर्नशिप पर नहीं रखा गया था. बेंगलुरु में संबोधन के दौरान सीजेआई ने ये कहानी सुनाई.
DY Chandrachud Statement: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने कहा कि वकील के तौर पर रूप में हमें अन्याय और भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना सुनिश्चित करना चाहिए. बेंगलुरु (Bengaluru) की नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया (NSILU) यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सीजेआई ने कहा कि उन्हें ये बताया गया था कि कानून का एक युवा छात्र जो एक कानून कार्यालय में इंटर्नशिप के लिए गया था, उससे पूछा गया कि उसकी जाति क्या है और जब उसने बताया तो उससे वापस नहीं आने के लिए कहा गया. सीजेआई ने कहा कि इसने मुझे निराशा से भर दिया है. वकील के तौर पर, हमें पक्षपात और अन्याय के खिलाफ खड़ा होना सुनिश्चित करना चाहिए. हमें तय करना होगा कि संवैधानिक मूल्यों का पालन किया जाए और इससे पता चलता है कि कुछ वकील संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना तो दूर कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.
लैंगिक रूढ़िवादिता पर CJI ने क्या कहा?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में मौलिक संवैधानिक मुद्दों में लगा हुआ है. हमने लैंगिक रूढ़िवादिता (Gender Stereotyping) पर एक बुकलेट जारी की है. अभी ग्रेजुएट होने वाले परिवर्तन को आगे बढ़ाएंगे. हमारे लिए यह एक सीखने की प्रक्रिया है.
जब महिला वकील को नहीं थी ये इजाजत
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने बताया कि बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. भारत की पहली महिला वकील कॉर्नेलिया सोराबजी को तब तक कोर्टे में दलील पेश करने की इजाजत नहीं थी जब तक कि उनके साथ कोई पुरुष वकील नहीं हो. ये वो कहानियां नहीं हैं जिन्हें हम अपनी हिस्ट्री की किताबों में छोड़ सकते हैं.
सीजेआई ने महिलाओं की समस्या पर क्या कहा?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले साल 5 में से 4 लॉ क्लर्क महिलाएं थीं. उनके लिए यह आम बात है कि वो मुझे फोन करती हैं और कहती हैं कि सर, मुझे पीरियड्स में ऐंठन होती है. मैं उनसे कहता हूं कि प्लीज घर से काम करें और अपनी सेहत का ख्याल रखें. हमने आपको सुप्रीम कोर्ट में महिला शौचालयों में सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर के बारे में भी बताया.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि अगर किसी मोड़ पर एक अच्छा वकील बनने और एक अच्छा इंसान बनने में से चुनना पड़ जाए तो मैं आपसे एक अच्छा इंसान बनने का आग्रह करूंगा. वकालत का पेशा धीरे-धीरे ज्यादा से ज्यादा महिला वकीलों की एंट्री के लिए एक प्रारंभिक बिंदु बनता जा रहा है. सीजेआई ने ये भी कहा कि उस सीढ़ी को कभी लात मत मारिए जो आपको जीवन की इस यात्रा में ऊपर ले गई.
(इनपुट-आईएएनएस)