Maharashtra Results: महाराष्‍ट्र में शुरुआती रुझानों से पता चलता है कि सत्‍तारूढ़ महायुति (देवेंद्र फडणवीस-एकनाथ शिंदे-अजित पवार) की सत्‍ता में वापसी की पूरी संभावना है. शुरुआती ढाई घंटों के बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर यदि सभी 288 सीटों के रुझानों पर नजर डाली जाए तो बीजेपी 122 सीटों पर बढ़त के साथ अधिक सीटों पर आगे चल रही है. वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना 57 और अजित पवार की एनसीपी 37 सीटों पर आगे है. जाहिर है कि रझानों के मुताबिक महायुति की सरकार बनती दिख रही है. 


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कुल मिलाकर बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में दिख रही है. जाहिर सी बात है कि सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के कारण बीजेपी की सीएम कुर्सी पर स्‍वाभाविक दावेदारी बनती है और देवेंद्र फडणवीस बीजेपी आलाकमान की पहली पसंद हो भी सकते हैं. अमित शाह ने चुनावी रैली में ये बात कही भी थी कि बीजेपी को जिताना है और देवेंद्र फडणवीस को जिताना है. उसके बाद से ही ये संकेत निकाले जाने लगे थे कि बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने की स्थिति में बीजेपी, मुख्‍यमंत्री की कुर्सी के लिए दावा कर सकती है. 


2019 में भी बीजेपी 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन उस वक्‍त उद्धव ठाकरे के नेतृत्‍व में शिवसेना ने गठबंधन में रहने के बावजूद मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बीजेपी के दावे को नकार दिया था. उसके बाद शरद पवार और कांग्रेस के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी की सरकार बना ली थी. उसके बाद क्‍या हुआ ये कहानी सबको पता है.


लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब ये खड़ा हो गया है कि क्‍या एकनाथ शिंदे अपनी सीएम कुर्सी छोड़ने पर सहमत होंगे? उनकी शिवसेना की तरफ से क्‍या ये संदेश नहीं दिया जाएगा कि भले ही उनकी पार्टी ने कम सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन जितने पर लड़ा उसके लिहाज से उनका प्रदर्शन भी दमदार रहा है और सबसे बड़ी बात ये कि मुख्‍यमंत्री होने के नाते महायुति की तरफ से चेहरा तो चुनाव में वही थे. इसलिए उनकी मुख्‍यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखी जानी चाहिए. आखिर उनके चेहरे के कारण ही महायुति के सभी घटक दल एकजुट रहते हुए अपना दमदार प्रदर्शन दे सके हैं. ऐसी मांग और दबाव शिवसेना की तरफ से स्‍वाभाविक है. लिहाजा शिवसेना इतनी आसानी से सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी नहीं छोड़ेगी. इस बीच बारामती में अजित पवार को सीएम बनाने की मांग वाले पोस्‍टर शुक्रवार को देखे गए. हालांकि बीजेपी और शिवसेना के दमदार प्रदर्शन के बावजूद अजित पवार की सीएम पद के लिए दावेदारी कमजोर पड़ती दिख रही है.