Jairam Ramesh on Shaitan Singh: लद्दाख में चीन, भारतीय जमीन पर कब्जा करते जा रहा है और भारत सरकार खामोश है. कांग्रेस के सेक्रेटरी कम्यूनिकेशंस जयराम रमेश ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी कर मोदी सरकार पर जमकर बरसते हुए मेजर शैतान सिंह का जिक्र किया. उन्होंने 19 जून 2020 (गलवान की घटना कुछ दिनों पहले हुई थी) का जिक्र करते हुए पीएम मोदी के बयान को कोट किया कि ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है , ना ही कोई घुसा हुआ है, ना ही हमारी कोई किसी दूसरे के कब्जे में है. इस कोट को सामने रखते हुए कहा कि मौजूदा सरकार किस हद तक झूठ बोल रही है.


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भारत-चीन के बीच 18 राउंड की बात हो चुकी है लेकिन डेपसांग और डेमचोक का मुद्दा नहीं सुलझा है. यही नहीं गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग्स के इलाके को बफर जोन को चीन को सौंप दिया गया है. और उसका असर यह होगा कि अब हम मेजर शैतान सिंह के स्मारक तक नहीं जा सकेंगे. अब जब उन्होंने मेजर शैतान सिंह का जिक्र किया है तो आपको भी उनके बारे में जानने की दिलचस्पी होगी कि आखिर वो कौन थे. उनका इस इलाके से किस तरह से जुड़ाव था.


कौन थे मेजर शैतान सिंह


जोधपुर में 1 दिसंबर 1924 को जन्मे शैतान सिंह भारतीय सेना में मेजर के पद पर तैनात थे. 13 कुमाऊं रेजीमेंट के चार्ली यूनिट से नाता था. 1962 में चीनी सैनिक जब रेजांग ला की तरफ बढ़ने लगे थे. उनके निशाने पर चुशुल एयरबेस था. खतरे को भांप भारतीय फौज ने शैतान सिंह की यूनिट को रेजांग ला भेजने का फैसला किया. उस समय वो अपनी यूनिट के साथ जम्मू-कश्मीर के बारामूला में थे. दो दिन के शॉर्ट नोटिस पर शैतान सिंह मोर्चे पर पहुंचे और कमान संभाल ली. रेजांग ला की लड़ाई दुनिया की कठिन लड़ाई में से एक मानी जाती है. चीन के हजार सैनिकों के सामने भारतीय सैनिकों की संख्या बेहद कम थी. करीब 120 की संख्या में चीन के हजारों सैनिकों के दांत वीर भारतीय सैनिकों ने कर दिए. उस लड़ाई का सबसे बड़ी खासियत यह थी कि अंतिम जवान और अंतिम गोली तक लड़ाई लड़ी गई. भारतीय सैनिक चीनियों को खदेड़ चुके थे. लेकिन कुछ देर के बाद चीन ने अचानक तोप से हमला कर दिया. उस हमले में एक गोले से शैतान सिंह घायल हो गए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. साथी सैनिक उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश करते रहे. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. शैतान सिंह ने मशीनगन को पैर से बांधने के लिए कहा और अंतिम गोली तक वो दुश्मनों पर गोली बरसाते रहे. हालांकि कुछ देर के बाद वो वहीं शहीद हो गए. मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.


कांग्रेस का आरोप, बीजेपी का इनकार

भारत और चीन के बीच 20 चरण की बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं, जिनमें गलवान, पैंगोंग लेक के उत्तरी और दक्षिणी तट के अलावा गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पीपी 15 और 17 शामिल हैं. फरवरी 2021 में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स के पीपी 17 से दोनों सेनाएं अगस्त 2021 में हट गईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों के बीच बफर जोन बनाने पर सहमति बनी. ऐसा कहा गया कि बफर जोन में जो स्थाई ढांचे हैं उन्हें गिरा दिया जाएगा. और उसी कड़ी में मेजर शैतान सिंह की स्मारक को हटा लिया गया. हालांकि लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग छेरिंग नामग्याल कहते हैं कि स्मारक का संबंध बफर जोन से नहीं है.