Manipur : मणिपुर से एक बार फिर दिल-दहलाने वाली खबर सामने आई है. मणिपुर में चार व्यक्तियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. घटना के बाद से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है. घटना के एक दिन बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने मंगलवार को यानी 2 जनवरी 2024 को वहां की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और सरकार से पूर्वोत्तर राज्य में सभी हितधारकों से बात करके स्थिरता और शांति के लिए ''ठोस कदम'' उठाने का आग्रह किया.


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थोउबल जिले
मणिपुर के थोउबल जिले के अल्पसंख्यक बहुल लिलोंग चिंगजाओ इलाके में अज्ञात हमलावरों ने चार ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी. जिसके बाद प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, कहा कि ‘‘मणिपुर में चार लोगों की हत्या कर दी गई. कई लोग घायल हैं, कई जिलों में कर्फ्यू है. आठ महीने से मणिपुर के लोग हत्या, हिंसा और तबाही झेल रहे हैं. यह सिलसिला कब रुकेगा?’’


शांति लाने के लिए ठोस कदम
प्रियंका गांधी ने कहा, कि‘‘मणिपुर की सभी पार्टियों के नेताओं के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उन्होंने आज तक समय नहीं दिया. न वे मणिपुर गए, न मणिपुर के बारे में बात की, न संसद में जवाब दिया, न कोई ‘एक्शन’ लिया. क्या मणिपुर को यही नेतृत्व चाहिए, या विज्ञापनों की ताकत महान बताने के लिए पर्याप्त है.  सरकार को अब बिना देर किए मणिपुर के सभी पक्षों से बातचीत करके, उन्हें विश्वास में लेकर, स्थिरता और शांति लाने के लिए ठोस कदम उठाने शुरू करने चाहिए


भारत न्याय यात्रा
प्रियंका गांधी ने कहा, कि मणिपुर में हिंसा कांग्रेस की 'भारत न्याय यात्रा' से कुछ दिन पहले हुई है, जो 14 जनवरी को राज्य से शुरू होने वाली है और मार्च में मुंबई में समाप्त होगी.


आदिवासी एकजुटता मार्च
बीते मई में उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद मणिपुर में अराजकता और अनियंत्रित हिंसा भड़क उठी, जिसमें राज्य सरकार को गैर-आदिवासी मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था. इस आदेश के कारण आदिवासी कुकी और गैर-आदिवासी मेइती समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर जातीय झड़पें हुईं. बता दें, तीन मई को राज्य में पहली बार भड़की जातीय हिंसा के बाद से 180 से अधिक लोग मारे गए. साथ ही कई सौ अन्य लोग घायल हुए. जब बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था.