नई दिल्ली: भाजपा द्वारा कांग्रेस पर राजनीतिक अवसरवादिता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाए जाने पर पलटवार करते हुए विपक्षी पार्टी ने आज सवाल किया कि इसकी ‘अदालत की निगरानी में जांच’ होनी चाहिए कि आखिर ‘नक्सलियों से संबंध रखने’ के आरोप में गिरफ्तार लोगों से जुड़े कागजात अदालत में पेश होने से पहले सत्तारूढ़ पार्टी के पास कैसे आ गए.


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कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी ने जो प्रेस वार्ता की है जिसमें कुछ तथाकथिक आरोप लगाए गए हैं. ये आरोप इस बात की पुष्टि करते हैं कि देश में अघोषित आपातकाल है.’


उन्होंने कहा, ‘अब क्या भारतीय जनता पार्टी इस देश में जांच एजेंसी का काम कर रही है? अगर पुलिस के किसी छापे में कोई तथाकथित कागज बरामद होते हैं, वे भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता के पास कैसे आ जाते हैं, इस चीज की जांच होनी चाहिए.’ 


तिवारी ने कहा, ‘आरोप पत्र एक सार्वजनिक दस्तावेज होता है, लेकिन इस मामले में अभी आरोपपत्र दायर ही नहीं हुआ है. कागज गलत है या सही है ये प्रमाणित होने के पहले वो भारतीय जनता पार्टी के पास आ जाते हैं ताकि दुष्प्रचार के लिए उनका पूर्ण इस्तेमाल हो सके.’ उन्होंने कहा कि ‘अदालत की निगरानी में’ इसकी जांच होनी चाहिए.


भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि संप्रग शासनकाल के दौरान सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ‘नक्सलियों के लिए समर्थन का आधार’ थी और पार्टी के कुछ नेताओं ने नक्सलवाद का ‘महिमामंडन’ किया.


कांग्रेस के खिलाफ आरोपों की बौछार करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ‘नक्सलियों से संबंध’ रखने वाले लोगों को दिग्विजय सिंह एवं जयराम रमेश जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के कथित समर्थन पर भी सवाल उठाए.


(इनपुट - भाषा)