नई दिल्‍ली: कोरोना (Corona) महामारी ने दुनिया में कई चीजें बदल दी हैं. लोगों के तौर-तरीके, उनकी आदतें, शॉपिंग के तरीके, खाने-पीने आदि में भी खासे बदलाव आए हैं. दुनिया के 17 देशों में कराए गए अंतरराष्ट्रीय सर्वे में सामने आया है कि लोगों के शॉपिंग करने के तरीके में खासा बदलाव आया है. चूंकि देश अभी कोविड-19 की दूसरी लहर से लड़ रहा है और कई जगहों पर लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में लोगों में आए बदलावों के और पुख्ता होने की उम्मीद है.


सर्वे में भारत भी शामिल 


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यह सर्वे ग्लोबल मार्केट रिसर्च कंपनी यूगाॉव (YouGov) ने जिन 17 देशों में किया है, उनमें ज्‍यादातर विकसित देश शामिल थे. इसके अलावा इसमें मैक्सिको और भारत जैसे तेजी से बढ़ रहे बाजार भी शामिल थे. यह सर्वे 18 हजार ग्राहकों पर किया गया. 


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बढ़ा हेल्‍दी फूड खाने का चलन 


दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार इस सर्वे में शामिल हुए 66% भारतीयों ने कहा कि अब वे पहले से ज्‍यादा हेल्‍दी फूड खाने लगे हैं. उनके भोजन में अब फल-सब्जियां और डेयरी प्रोडक्ट की मात्रा पहले से बढ़ गई है. इसके अलावा भारतीय लोगों ने फास्ट फूड खाना भी कम किया है. दुनिया में जहां 28% लोगों ने ऐसा किया, वहीं भारत में 47% लोगों ने ऐसा किया है. दुनिया में 15% लोगों ने कहा कि उन्होंने पैकेज्ड फूड या रेडीमेड फूड खाना कम किया है, वहीं भारत में 32% लोगों ने ऐसा कहा.


...लेकिन जमकर पी शराब 


महामारी के दौरान भले ही भारत में लोगों ने पोषक भोजन को तवज्‍जो दी लेकिन उन्‍होंने शराब भी ज्‍यादा पी. भारत (29%) और चीन (27%) में सबसे ज्यादा लोगों ने कहा कि उन्‍होंने महामारी के दौरान पहले के मुकाबले ज्‍यादा शराब पी. वहीं पूरी दुनिया की बात करें तो सर्वे में शामिल 25% लोगों ने कहा कि उन्‍होंने ज्‍यादा शराब पी, लेकिन करीब 20% ने यह भी कहा कि उन्‍होंने पहले से कम शराब पी. 


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कॉस्मेटिक्‍स की घटी मांग 


चूंकि लॉकडाउन के कारण ज्‍यादातर समय लोग घर पर ही थे, ऐसे में पूरी दुनिया में कॉस्मेटिक प्रोडक्‍ट्स की खरीदी (Shopping) में कमी आई. दुनिया में 33% लोगों ने कम कॉस्‍मेटिक्‍स लेने की बात कही, वहीं केवल 10% ने कहा कि उन्‍होंने ज्‍यादा कॉस्‍मेटिक्‍स खरीदे. भारत में 36% लोगों ने कहा कि अब वे पहले की तुलना में कम कॉस्मेटिक प्रोडक्ट खरीद रहे हैं.


स्‍थानीय व्‍यवसायों की मदद की 


सर्वे में इस बारे में भी सवाल पूछे गए कि लोगों ने खरीददारी कहां से की. 17 देशों के 60% ग्राहकों ने कहा स्थानीय व्‍यवसायों की मदद करने के लिए उन्‍होंने इनसे ही खरीददारी की और आगे भी ऐसा करना जारी रखेंगे. यही वजह है कि कई देशों में छोटे बिजनेस बर्बाद होने से बच गए. इंडोनेशिया, मैक्सिको और भारत जैसे देशों में स्‍थानीय व्‍यवसायियों की मदद सबसे ज्‍यादा की गई. लोगों ने स्‍थानीय किराना दुकानों से ग्रॉसरी खरीदी. भारत की बात करें तो देश में ऐसी करीब 70 लाख दुकानें हैं. यदि इनमें केमिस्ट और पान की दुकानों को जोड़ लें तो यह आंकड़ा 1 करोड़ के पार हो जाएगा. लॉकडाउन में बड़ी संख्‍या में लोगों ने इन्‍हीं दुकानों से सामान खरीदा. वहीं सिंगापुर और हांगकांग जैसे अमीर बाजारों में यह चलन कम देखा गया. 


पहले से की खदीददारी 


लॉकडाउन को देखते हुए लोगों ने घर में ग्रॉसरी का स्‍टॉक रखा. उन्‍होंने लिस्‍ट बनाकर शॉपिंग की और गैरजरूरी चीजें खरीदने से बचे. ऐसी शॉपिंग में इंडोनेशिया (92%) और भारत (90%) के ग्राहक सबसे आगे रहे. अमेरिका (74%) में भी ऐसा करने वाले लोगों की संख्‍या बढ़ी, लेकिन डेनमार्क में ऐसा करने वालों की संख्या महज 69% रही. सभी देशों के ग्राहकों ने स्‍वीकार किया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान उनकी खरीदारी की आदतों में बड़ा बदलाव आया है. मैक्सिको में 83% और भारत में 81% लोगों ने ऐसा कहा. 


चीन में देखे गए सबसे कम बदलाव 


जिस देश में कोरोना वायरस पैदा हुआ और फिर पूरी दुनिया में जिसने कहर बरपाया, उस देश चीन के लोगों में सबसे कम बदलाव हुए. जबकि 2020 की शुरुआत चीन में सख्‍त लॉकडाउन लगा था, लेकिन उसने जल्‍द ही कोरोना पर काबू पा लिया. यहां तक कि दूसरी अर्थव्‍यवस्‍थाओं की तुलना में चीनी अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रही. इसी तरह जर्मनी में भी काफी कम बदलाव दिखे. इस देश ने भी महामारी से मजबूती से मुकाबला किया और जल्‍द उबर गया.