शादी में 200 लोग, रैली में 2 लाख क्यों? कोविड में सब बदला लेकिन राजनीति नहीं बदली
भारत के ज़्यादातर शहरों में कोविड (Corona) के बढ़ते मामलों की वजह से आप अपने दोस्तों के साथ क्रिसमस नहीं मना पाएंगे. हालांकि आप अगर नेता हैं तो लाखों लोगों की भीड़ बुला सकते हैं.
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साउथ कोरिया, मंगोलिया, सिंगापुर, श्रीलंका और Croatia में भी संक्रमण के मामले बढ़ने के बावजूद चुनाव हुए. जब लोग इस बीमारी से मारे गए तो इन नेताओं ने उसकी नैतिक ज़िम्मेदारी भी नहीं ली बल्कि ये नेता ज़िम्मेदारी के नाम पर खामोश हो गए.
राजनेताओं के लिए कुछ नहीं रुक सकता!
यानी दुनिया ने आपको यही बताया है कि कोविड में आम लोगों के लिए तो बाज़ार बन्द हो सकते हैं, शादी भी रुक सकती है, नौकरी भी घर से हो सकती है. जन्म और मृत्यु के रीति रिवाज़ भी बदले जा सकते हैं और फिल्में भी सिनेमा हॉल की जगह ऑनलाइन रिलीज़ हो सकती है. यानी आपके लिए सबकुछ बदला और रोका जा सकता है. लेकिन राजनीति और नेताओं के लिए कुछ नहीं रुक सकता. चाहे कोरोना रहे या ना रहे, राजनीति वैसी ही रहेगी, जैसे पहले थी.
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