नई दिल्ली: कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus 2nd Wave) से पूरा देश जूझ रहा है और अब महामारी भारतीय रेलवे (Indian Railway) के कर्मचारियों को अपनी चपेट में लेने लगा है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि रोजाना करीब 1000 कर्मचारी कोविड-19 से संक्रमित हो रहे हैं. बता दें कि रेलवे न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसमें 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं.


अब तक रेलवे के 1952 कर्मचारी गंवा चुके हैं जान


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कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से भारतीय रेलवे (Coronavirus in Indian Railway) के 1952 कर्मचारी अब तक जान गंवा चुके हैं. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा ने बताया, 'पिछले साल मार्च से कल तक 1952 रेल कर्मियों की कोविड-19 महामारी से जान जा चुकी है.'


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रोजाना 1000 कोविड-19 के मामले झेल रही रेलवे


सुनीत शर्मा ने कहा, 'रेलवे किसी अन्य राज्य या क्षेत्र से अलग नहीं है और हम भी कोविड-19 के मामले झेल रहे हैं. हम परिवहन का काम करते हैं और सामान व लोगों को लाते और ले जाते हैं. रोजाना कोविड-19 के करीब 1000 मामले सामने आ रहे हैं.'


4000 रेलवे कर्मी या परिवार वाले अस्पताल में भर्ती


सुनीत शर्मा ने कहा, 'हमारे अपने अस्पताल हैं और हमने बेड की संख्या बढ़ाई है. इसके साथ ही रेल अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट बनाए हैं. हम अपने कर्मियों का ध्यान रखते हैं. फिलहाल 4000 रेलवे कर्मी या उनके परिवार के सदस्य इन अस्पतालों में भर्ती हैं. हमारा प्रयास यह है कि वो जल्दी ठीक हों.'


1 लाख से ज्यादा रेलकर्मी हो चुके हैं कोरोना संक्रमित


अखिल भारतीय रेलवे के महासंघ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, 'कोरोना वायरस से एक लाख से अधिक रेलवे कर्मी संक्रमित हुए हैं, जिनमें से करीब 65 हजार कर्मी ठीक हो चुके हैं और ड्यूटी ज्वाइन कर लिया है.' उन्होंने कहा, 'रेलवे सभी रेलकर्मियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और जोखिम को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.


फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह मुआवजे की मांग


रेलकर्मियों के संघ ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन ने कुछ दिनों पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) को पत्र लिखकर मांग की थी कि कोरोना वायरस संकट (Coronavirus Pandemic) के दौरान काम करते हुए जान गंवाने वाले रेलकर्मियों के परिजनों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह ही मुआवजा दिया जाए. उन्होंने पत्र में कहा, 'रेलवे कर्मी भी फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह ही 50 लाख रुपये के मुआवजे के हकदार हैं, न कि 25 लाख रुपये के जो उन्हें अभी दिया जा रहा है.'


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