सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित क्रिसमस कार्यक्रम में आज चीफ जस्टिस ने पुंछ के शहीदों को याद किया. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने पिछले दिनों अपने चार जवानों को खो दिया. आज जब हम क्रिसमस मना रहे हैं तो हमें अपने उन जवानों को नहीं भूलना चाहिए, जो सीमा पर मौजूद हैं. ये वो जवान हैं जो देश के लिए अपना जीवन तक बलिदान कर देते हैं. 


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स्कूली दिनों की सीख को याद किया


सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित क्रिसमस कार्यक्रम में बोलते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि मुंबई में स्कूल के दिनों में जो बात मैंने प्रमुखता से सीखी, वो थी- देशभक्ति की भावना. देश सर्वोपरि है, देश हम सबसे बढ़कर है. हम देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर अपना जीवन भी, जैसे हमारे आर्म्ड फोर्सज के जवान करते हैं. पिछले दिनों हमने अपने आर्म्ड फोर्सेज के चार जवानों को खो दिया. आज जब हम क्रिसमस मना रहे हैं तो हमे अपने उन जवानों को नहीं भूलना चाहिए, जो सीमा पर मौजूद हैं और जो देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर देते हैं.


चीफ जस्टिस ने कहा कि क्रिसमस मनाते हुए हमें उन डॉक्टर और नर्स को भी नहीं भूलना चाहिए जो गम्भीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ये लोग अपने परिवार के साथ नहीं हैं. हम खुशकिस्मत हैं कि इस मौके पर हम अपने घरवालों के साथ हैं. आखिर में सीजेआई ने क्रिसमस कैरोल भी गाया. (नीचे वीडियो देखिए)


संविधान हमारी सबसे पवित्र पुस्तक


चीफ जस्टिस ने कहा कि हम वकील और जजों के लिए सबसे पवित्र पुस्तक देश का संविधान है. संविधान हमें सिखाता है कि देश के नागरिक के तौर पर हम एक हैं और हमें देश को बेहतर बनाना है.
 
सुनवाई टालने का आग्रह न करें


इस मौके पर चीफ जस्टिस ने वकीलों से आग्रह किया कि बिना जरूरत वे सुनवाई टालने के लिए आग्रह न करें. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमे लोगों को ज़रूरत को समझना होगा. बहुत ज़रूरी होने पर केस को स्थगित करने का आग्रह करना समझ में आता है, पर ये यूं ही नहीं होना चाहिए. हमें चाहिए कि हम समाज को संदेश दें कि हम अपने काम के लिए गम्भीर हैं. हम समाज में हंसी का पात्र न बनें. चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं आभारी हूं कि इस साल वकीलों के सहयोग से 52 हज़ार केस का निपटारा करने में सफल रहे हैं. बिना बार के सहयोग के इतने केस का निपटारा संभव नहीं था. अगले साल इससे भी ज़्यादा केस का निपटारा हो सके, वह लक्ष्य हमें रखना चाहिए.