Country First Encounter: देश में पहली बार इस अपराधी का हुआ था एनकाउंटर, गर्लफ्रेंड से मिला था पुलिस को टिप
Country First Encounter News: बदमाशों के एनकाउंटर की कहानी आप अक्सर पढ़ते रहते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पुलिस ने सबसे पहला एनकाउंटर किस अपराधी का किया था.
Manya Surve Country First Encounter: नामी बदमाशों से निपटने के लिए उनका एनकाउंटर कर देना देशभर की पुलिस के लिए आजकल सफलता का शॉर्टकट बन गया है. वे इस ट्रिक को कोर्ट-कचहरी के झंझट में पड़े बिना सीधा बदमाशों को उनके किए की सजा देना बताते हैं. कई लोग इन एनकाउंटरों को गलत मानते हैं तो कईयों को ये सुहाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में आजादी के बाद सबसे पहला एनकाउंटर किस अपराधी का और कहां हुआ था.
इस बदमाश का हुआ था पहला एनकाउंटर
जानकारी के मुताबिक देश में आजादी के बाद सबसे पहला एनकाउंटर (Encounter) मुंबई के सबसे खतरनाक डॉन मन्या सुर्वे (Manya Surve) का हुआ था. उसे मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के स्पेशल एनकाउंटर स्कवाड ने मौत के घाट उतारा था. देश के इस पहले एनकाउंटर के तरीके पर खूब विवाद भी हुआ था. वहीं काफी लोगों ने राहत की सांस भी ली थी.
रिपोर्ट के मुताबिक मन्या सुर्वे का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था. उसने मुंबई के कीर्ति कॉलेज से बी.ए. किया था. उसे अपराध की दुनिया में उसका सौतेला भाई भार्गव दादा लेकर आया था. उसने भार्गव और अपने दोस्त मन्या पोधाकर के साथ मिलकर वर्ष 1969 में दांडेकर नाम के व्यक्ति का मर्डर कर दिया था. जिसमें उसे उम्र कैद की सजा हुई थी.
जेल में जाकर हो गया था और खूंखार
मन्या सुर्वे (Manya Surve) इतना खतरनाक था कि उसके असर को कम करने के लिए प्रशासन ने उसे मुंबई के बजाय पुणे की यरवदा जेल में रखा. वहां पर जाने के बाद मन्या सुर्वे और भी खूंख़ार हो गया. उसकी दहशत बढ़ती देख जेल प्रशासन ने उसे रत्नागिरी जेल में शिफ्ट कर दिया. वहां पहुंचने पर जेल प्रशासन ने मन्या सुर्वे के साथ सख्ती शुरू कर दी, जिससे नाराज होकर मन्या सुर्वे ने भूख हड़ताल शुरू कर दी.
वर्ष 1979 में वह बीमारी के बहाने अस्पताल में भर्ती था. वहां पर वह पुलिस को चकमा देकर अस्पताल से भाग निकला. इसके बाद मुंबई पहुंचकर उसने फिर से अपने गैंग को खड़ा किया. उसने अपने कॉलेज के कई दोस्तों और कई खतरनाक अपराधियों को भी अपने गैंग से जोड़ा. इसके बाद उसने अपने गिरोह के साथ मिलकर चोरी-डकैती और हत्या की कई घटनाओं को अंजाम दिया.
दाउद इब्राहिम भी खाता था खौफ
वर्ष 1970 से 80 के दशक के बीच मुंबई में मन्या सुर्वे (Manya Surve) का एकछत्र राज चलता था. वो दाऊद इब्राहिम और उसके बड़े भाई शब्बीर इब्राहिम का कट्टर दुश्मन था. दोनों भाई उसके डर से ज्यादा बाहर नहीं निकलते थे. दाऊद को टपकाने के धमकी देने वाले मन्या सुर्वे से लोग खौफ खाते थे. उसके साथ ही मुंबई में उस वक्त अमर नाइक, अरुण गवली और दाउद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) गिरोह भी अपने पैर पसारने में लगे हुए थे.
खतरनाक गिरोहों की वजह से लोगों में दहशत बढ़ने और किरकिरी होने पर मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने स्पेशल एनकाउंट स्कवाड का गठन किया. इस स्कवाड का काम बड़े बदमाशों को ठिकाने लगाना था. मुंबई पुलिस के अधिकारी इशाक बागवान की टीम ने सबसे पहले मन्या सुर्वे को अपने टारगेट पर लिया. उसके गिरोह पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर उसके कई साथियों को अरेस्ट किया गया लेकिन वह पकड़ में नहीं आया.
गर्लफ्रेंड से मिली मन्या की सूचना
इसके बाद पुलिस टीम को मन्या सुर्वे (Manya Surve) की गर्लफ्रेंड विद्या जोशी के बारे में पता चला. कहते हैं कि पुलिस (Mumbai Police) ने विद्या जोशी पर दबाव बनाया और कहा कि अगर मन्या सुर्वे सरेंडर कर देता है तो उसकी जान बख्श दी जाएगी. ऐसा न करने पर उन दोनों को ठिकाने लगा दिया जाएगा. बताया जाता है कि पुलिस के दबाव में आकर विद्या जोशी उनका साथ देने के लिए तैयार हो गई.
लम्बी लुका-छुपी के बाद मन्या सुर्वे (Manya Surve) 11 जनवरी, 1982 को वडाला में आंबेडकर कॉलेज के पास एक ब्यूटी पार्लर में अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आया. विद्या जोशी ने इसकी जानकारी मुंबई पुलिस (Mumbai Police) को दे दी. इसके बाद इशाक बागवान की टीम ने मन्या सुर्वे को चारों ओर से घेर लिया. दोनों ओर से कई गोलियां चली लेकिन पुलिस की कड़ी घेरेबंदी की वजह से मन्या कुछ ही देर में घायल हो गया. इसके बाद पुलिस ने उसे वैन में डाला और अस्पताल लेकर गई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
बॉलीवुड में बनी कई फिल्में
देश की आजादी के बाद हुआ यह पहला पुलिस एनकाउंटर था, जिस पर कई तरह के सवाल भी उठे थे. इस एनकाउंटर पर बॉलीवुड ने वर्ष 1990 में ‘अग्निपथ’ फिल्म बनाई, जिसमें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने मन्या सुर्वे (Manya Surve) का किरदार निभाया था. वहीं जॉन अब्राहम ने फिल्म शूटआउट एट वडाला में मन्या सुर्वे की भूमिका निभाई थी. कहते हैं कि इस एनकाउंटर के बाद दाउद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) को मुंबई में खुला मैदान मिल गया था और वह बड़े पैमाने पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया था.