नई दिल्‍ली: कोर्ट ने रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड और नोएडा स्थित उसकी एमेराल्ड कोर्ट परियोजना में घर खरीदने वाले ग्राहकों के बीच रकम वापसी पर सहमति की प्रक्रिया दोबारा शुरू किए जाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. 


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एजेंसी की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने सुपरटेक को निर्देश दिया कि वह इस परियोजना के दोनों टॉवर के घर खरीदारों को तय राशि 28 फरवरी तक लौटा दे.  


कोर्ट की तरफ से इस मामले में नियुक्त 'न्याय-मित्र' गौरव अग्रवाल ने घर खरीदारों को लौटाई जाने वाली राशि निर्धारित की है. कोर्ट ने कहा कि बकाया आवासीय ऋण वाले मामलों में कंपनी को 31 मार्च तक कर्ज निपटाना होगा और संबंधित वित्तीय संस्थान से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर 10 अप्रैल 2022 तक जमा करना होगा. 


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पीठ ने कहा कि वापस लौटाई जाने वाली रकम के बारे में फ्लैट खरीदारों के साथ बनी सहमति का पालन दोनों ही पक्षों को करना होगा. उसने तय रकम के बारे में न्याय-मित्र की गणना को स्वीकार करते हुए कहा कि इस पर नए सिरे से गौर करना अनुचित होगा. 


वकील गौरव अग्रवाल ने पीठ को बताया कि कुछ घर खरीदारों ने वापस लौटाई जाने वाली रकम की गणना ठीक ढंग से नहीं किए जाने की बात कही है लेकिन उनमें से किसी ने भी तय राशि की मात्रा में कोई गड़बड़ी नहीं पाई है. अब तक 38 फ्लैट खरीदारों की रकम वापसी पर सहमति बनी है. 


पीठ ने कहा कि दोनों टॉवरों को गिराए जाने के मसले पर वह सात फरवरी को विचार करेगी. इस आवासीय परियोजना को भवन निर्माण मानकों के उल्लंघन का दोषी पाए जाने के बाद 40 मंजिला टॉवरों को गिराने के आदेश दिए गए हैं. 


नोएडा प्राधिकरण ने पीठ को बताया कि उसने टॉवर ध्वस्त करने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के साथ परामर्श में काम करने के लिए चुना है.  


कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को सुपरटेक के निर्माणाधीन 40 मंजिला दोनों टॉवरों को ध्वस्त करने का आदेश देते हुए कहा था कि इस काम को तीन महीने के भीतर पूरा किया जाए. इसके साथ ही उसने इस परियोजना में घर खरीदने वाले सभी खरीदारों को बुकिंग के समय से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम लौटाने का निर्देश सुपरटेक को दिया था. 


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