दिल्ली: दिवाली पर तमाम प्रयासों के बावजूद पिछली बार से भी ज्यादा प्रदूषण रहा इस साल
दिल्ली में इस साल दिवाली के मौके पर वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. इस साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा प्रदूषण फैला, जबकि पटाखों पर, पराली जलाने पर आधिकारिक रूप से रोक लगी हुई थी, तो दिवाली के दूसरे ही दिन बारिश भी दर्ज की गई थी.
नई दिल्ली: दिल्ली में इस साल दिवाली के मौके पर वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. इस साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा प्रदूषण फैला, जबकि पटाखों पर, पराली जलाने पर आधिकारिक रूप से रोक लगी हुई थी, तो दिवाली के दूसरे ही दिन बारिश भी दर्ज की गई थी.
पिछले साल के मुकाबले इस साल के आंकड़े
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने पिछले साल और इस साल की दिवाली के आंकड़े जारी किए. सीपीसीबी (CPCB) ने बताया कि दिल्ली में हर पैमाने पर पिछले साल की तुलना में अधिक प्रदूषण रहा. पीतमपुरा में पीएम 2.5 और एसओ2 के आंकड़े डराने वाले रहे. रात करीब 1 बजे पूरी दिल्ली में प्रदूषण सबसे ज्यादा दर्ज किया गया. पीएम 10 और पीएम2.5 दिवाली के दिन 645जीएम3 और 483जीएम3 दर्ज किया गया गया.
पीएम 2.5 पैदा करता है फेफड़ों से जुड़े रोग
पीएम 2.5 के प्रदूषित कण बालों के तीन फीसदी के बराबर के होते हैं. जो फेफड़ों और दिल से जुड़ी बीमारियों की प्रमुख वजह माने जाते हैं. इस बार करीब 32 फीसदी पीएम 2.5 सिर्फ दिवाली के दिन ही बढ़ गया. पिछले साल ये आंकड़ा 19 फीसदी दर्ज किया गया था. इस बार पटाखों, पराली की वजह से कार्बन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ गया.
मौसम ने भी दिखाया रंग
दिवाली के मौके पर पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मिश्रित हवा का स्तर 300 मीटर से गिरकर 60 मीटर पर पहुंच गया. यानि कि हवा 60 मीटर से अधिक की उंचाई पर प्रदूषण रहित रही. लेकिन सारा प्रदूषण निचले स्तर पर जमा होने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा कहीं अधिक बढ़ गया. यही वजह रही कि दिल्ली के 10 प्रमुख स्थानों में से सात स्थानों पर प्रदूषण अधिक दर्ज किया गया.
पिछले सालों के आंकड़े
इस साल औसतन एक्यूआई (Air Quality Index) 414 दर्ज किया गया. साल 2019 में ये आंकड़ा 337 था, तो 2018 में 291 और 2017 में 319. हालांकि दिवाली के अगले दिन हर साल प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा पाया गया था.