सीआरपीएफ जवान ने पेश की इंसानियत की मिसाल, मौत से जूझ रहे नक्सली को दिया अपना खून
सीआरपीएफ ने मानवता की मिसाल तब पेश की है, जब नक्सलियों ने 2015 से 2018 के बीच सीआरपीएफ पर करीब 3821 बार घात लगाकर हमला किया. इन हमलों में सीआरपीएफ के 261 जवानों और अधिकारियों को अपनी शहादत देनी पड़ी.
नई दिल्ली: नक्सलियों के सफाए के लिए झारखंड में मौजूद केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के जवानों ने इंसानियत की अद्भुत मिसाल पेश की है. मंगलवार (5 फरवरी 2019) को सीआरपीएफ की 133वीं बटालियन के एक जवान ने अपना खून देखकर एक ऐसे नक्सली की जान बचाई है, जो अपने साथियों के साथ सीआरपीएफ के जवानों की जान लेने के लिए झारखंड के एक गांव में छिपा था. इस नक्सली को सीआरपीएफ के जवानों ने एक मुठभेड़ के बाद जख्मी हालत में मौके से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद सीआरपीएफ के जवानों ने पहले इन नक्सलियों को प्राथमिक उपचार दिया, फिर बेहतर इलाज के लिए रांची के एक अस्पताल में भर्ती कराया था.
29 जनवरी को सीआरपीएफ और नक्सलियों के बीच हुई थी मुठभेड़
सीआरपीएफ के महानिरीक्षक संजय आनंद लाठकर के अनुसार, झारखंड के बंदगांव इलाके में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच 29 जनवरी को एक मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो ने 5 नक्सलियों को मार गिराया गया है. मारे गए नक्सलियों में 2 लाख रुपए का ईनामी एरिया कमांडर प्रभु सहाय भी शामिल था. इसके अलावा, सीआरपीएफ ने मौके से घायल अवस्था में 2 नक्सलियों को गिरफ्तार भी किया है.
मारे गए नक्सलियों के कब्जे से भारी तादाद में बरामद हुए थे हथियार
सीआरपीएफ के आईजी संजय आनंद लाठकर ने बताया कि मुठभेड़ के बाद सीआरपीएफ की 209 कोबरा कमांडो टीम ने मौके से भारी तादाद में हथियार बरामद किए थे. बरामद किए गए हथियारों में 2 एके 47 राइफल, 303 बोर की 2 राइफल, एक पिस्टल, 3 कंट्री मेड पिस्टल, एके-47 राइफल की 2 मैगजीन, कार्बाइन की एक मैगजीन, 264 कारतूस, 8 पिट्ठू बैग और भारी तादाद में विस्फोटक शामिल था.
गुप्त सूचना के आधार पर सीआरपीएफ ने की थी नक्सलियों पर कार्रवाई
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, झारखंड में तैनात सीआरपीएफ की 209 कोबरा बटालियन को गुप्त सूचना मिली थी कि भारी संख्या में नक्सली बंदगाव इलाके में मौजूद हैं. सूचना मिलते ही, सीआरपीएफ ने तत्काल कार्रवाई का फैसला करते हुए इस बाबत स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई. नक्सलियों पर कार्रवाई करने के इरादे से सीआरपीएफ ने खूंट जिला के अड़की थाना क्षेत्र और पश्चिमी सिंहभूमि के बंदगांव थाना क्षेत्र की पुलिस टीम को ज्वाइंट ऑपरेशन टीम में शामिल किया गया था.
29 जनवरी को सुबह नक्सलियों से हुई थी भीषण मुठभेड़
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीआरपीएफ के उप-कमांडेंट विक्की पांडेय के नेतृत्व में टीम तैयार की गई. इस टीम में सहायक कमांडेंट जितेंद्र सिंह सहित 54 कमांडो भी शामिल थे. वहीं स्थानीय पुलिस की टीम में एएसपी अनुराग राज, डीएसपी कुलदीप सहित कुछ जवान शामिल थे. सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस की टीम ने सुबह करीब 6:30 बजे सर्च ऑपरेशन की शुरूआत की.
सुरक्षाबलों की भनक लगते ही नक्सलियों ने किया था घातक हमला
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए नक्सलियों ने 209 कोबरा कमांडो की टीम पर जबरदस्त फायरिंग शुरू कर दी. सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस की टीम ने नक्सलियों की इस गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया. घंटो चली इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडोज ने दो लाख रुपए के ईनामी नक्सली प्रभु सहाय को मार गिराया. मुठभेड़ में प्रभु सहाय के अतिरिक्त 5 अन्य नक्सली भी मार गिराए गए. इसके साथ ही, सीआरपीएफ ने मौके से गोलियों से जख्मी हुए दो नक्सलियों को हिरासत में भी लिया था.
मुठभेड़ खत्म होने के बाद CRPF के जवानों दिखाई मानवता की मिसाल
सीआरपीएफ के आईजी संजय आनंद लाठकर ने बताया कि मुठभेड़ खत्म होने के बाद कोबरा पोस्ट के जवानों ने नक्सलियों के साथ अपनी मानवता का प्रदर्शिक की थी. जवानों ने जख्मी नक्सलियों की जान बचाने के लिए पहले उन्हें प्राथमिक उपचार दिया. जिसके बाद दोनों नक्सलियों को रांची के प्रमुख अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.
पुरानी कडुवाहट को भुलाकर सीआरपीएफ के जवान ने दिया अपना खून
इलाज के दौरान सीआरपीएफ के 133वीं बटालियन के एक जवान को पता चला कि अस्पताल में भर्ती एक नक्सली की हालत बेहद नाजुक है. जिंदगी और मौत से जूझ रहे इस नक्सली को बी-पॉजिटिव खून की जरूरत है. यह जानकारी मिलते ही सीआरपीएफ की 133वीं बटालियन के जवान इस नक्सली की जान बचाने के लिए सक्रिय हो गए. इसी बीच, इसी बटालियन का जवान राजकमल सामने आया है और उसने स्वेच्छा से अपना खून नक्सली को देने की पेशकश की.
सीआरपीएफ मुख्यालय ने जवान को दिया प्रशस्ति-पत्र और नगद ईनाम
सीआरपीएफ के आईजी संजय आनंद लाठकर ने बताया कि कांस्टेबल राजकमल की इस पेशकश को तत्काल स्वीकार करते हुए उसे अस्पताल की तरफ रवाना कर दिया गया. अस्पताल में कांस्टेबल राजकमल ने अपना खून दान किया, जिसके बाद नक्सली की जान बचाई जा सकी. कांस्टेबल राजकमल की मानवता को ध्यान में रखते हुए सीआरपीएफ मुख्यालय ने उसे 2000 रुपए नगद और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया है.
यह मानवता तब जब नक्सलियों ने ली 261 सीआरपीएफ जवानों की जान
सीआरपीएफ के जवान ने मानवता का अद्भुत उदाहरण तब पेश किया जा है, जब नक्सली बीते तीन सालों में 261 सीआरपीएफ के जवानों की जान ले चुके हैं. उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने 2015 से 2018 के बीच सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर 3821 हमले किए. इन हमलों में 2015 में 59, 2016 में 61, 2017 में 74 और 2018 में 67 सीआरपीएफ के जवानों और अधिकारियों की शहादत हुई. अपने इतने साथियों की शहादत देखने के बावजूद जब मानवता दिखाने की बारी आई तो सीआरपीएफ के जवानों ने अपना दिल बड़ा कर नक्सलियों की जान बचाई.
पहला मौका नहीं जब सीआरपीएफ ने खून देकर बचाई है नक्सली की जान
यह पहला मौका नहीं है जब सीआरपीएफ के जवानों ने अपना खून देकर किसी नक्सली का जान बचाई हो. इससे पहले 8 फरवरी 2018 को महिला नक्सल मंजू बेगा की जान सीआरपीएफ के जवानों ने अपना खून देकर बचाई थी.