नई दिल्ली : वित्तीय साख निर्धारक प्रतिष्ठित एजेंसी मूडीज की राय में विभिन्न वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हाल की कटौती का सरकार का फैसला वित्तीय साख के प्रतिकूल है. एजेंसी ने अपनी ताजा रपट में कहा है कि इससे सरकार की राजस्व वसूली पर असर पड़ेगा और राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयासों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव की दृष्टि से यह वित्तीय साख के लिए ठीक नहीं है.


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गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली बैठक में 88 प्रकार की वस्तुओं पर कर की दर कम करने या समाप्त करने की घोषणा की थी. इनमें बिजली से चलने वाले कई प्रकार के घरेलू उपकरण, छोटी टीवी सेट तथा दस्तकारी के सामान शामिल हैं. मूडीज का कहना है कि इस निर्णय से‘ सरकारी राजस्व वसूली में वार्षिक आधार पर जीडीपी के 0.04 से 0.08 प्रतिशत तक का असर पड़ सकता है.’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कर राजस्व में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है.


अनुमान है कि ताजा कटौती से करीब 8,000-10,000 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हो सकती है. लेकिन सरकार को उम्मीद है कि अनुपालन बढ़ने से तथा वस्तुओं के सस्ता होने से उनकी मांग बढ़ने पर राजस्व वसूली बढ़ेगी तथा कर राजस्व में अनुमानित हानि की भरपाई हो जाएगी. मूडीज ने कहा कि नवंबर, 2017 और जनवरी, 2018 में जीएसटी में की गई कटौतियों के बाद जुलाई में की गई ताजा कटौतियों का सरकार की राजस्व वसूली पर असर पड़ेगा. यह साख के लिए ठीक नहीं है क्योंकि इससे राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों पर दबाव बढ़ेगा.


सरकार का अनुमान है कि जीएसटी वसूली मध्यावधि में सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत तक बढ़ेगी. दिसंबर, 2017 से जीएसटी की वसूली बढ़ी है. लेकिन बीच बीच में वस्तुओं पर कर की दरें कम करने से इससे चालू वित्त वर्ष में जीएसटी से 7.4 लाख करोड़ रुपए की प्राप्ति के लक्ष्य के चूकने का खतरा बढ़ा है.