नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक अहम फैसले में साफ किया है कि अब वो बेटियां भी पिता की संपत्ति में हिस्से की अधिकारी होंगी, जिनके पिता की मौत 9 सितंबर 2005 से पहले हुई. दरअसल वर्ष 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 (Hindu Succession Act) में संशोधन किया गया था ताकि बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा दिया जा सके. हालांकि अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक अगर पिता की मौत इस संशोधन के आने से पहले यानि 9 सितंबर 2005 से पहले हो चुकी होती थी तो ऐसी स्थिति में बेटियों को पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी नहीं मिलती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा देश की सबसे बड़ी अदालत ने अब इस फैसले के जरिये स्पष्ट कर दिया है कि बेटियों के अधिकार और स्पष्ट और  मजबूत होंगे.


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3 जजों की पीठ ने ये भी कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर की हकदार हो जाती है.अदालत ने फैसला सुनाते हुए ये भी कहा कि बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार देना ही होगा, क्योंकि बेटी पूरी जिंदगी पिता के दिल के करीब रहती है, यानि बेटी आजीवन हमवारिस ही रहेगी, भले ही पिता जिंदा हों या नहीं. 


कब मिला अधिकार ? 


9 सितंबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महिलाओं को उनके पिता की संपत्ति में अधिकार का फैसला सुनाया था. इससे पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में पिता की संपत्ति में बेटी के अधिकार की बात नहीं थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसमें संशोधन किया और पिता की संपत्ति में बेटे की तरह ही बेटी को भी संपत्ति का अधिकार दे दिया.


सुप्रीम कोर्ट के इस प्रगतिशील निर्णय से जहां बेटियों के कानूनी अधिकार मजबूत होंगे वहीं उनका सामाजिक ओहदा भी मजबूत होगा.


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