Minister Atishi Letter to LG on bus marshal: दिल्ली की केजरीवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री और AAP की वरिष्ठ नेता आतिशी ने बसों में मार्शल की फिर से बहाली करने की मांग की है. इसे लेकर उन्होंने दिल्ली के LG वीके सक्सेना को पत्र लिखा है. आतिशी का कहना है कि बसों में मार्शल होने से उसमें सफर करने वाली महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा मिलती थी लेकिन बिना वजह इस योजना को रोकने से यात्रियों की सुरक्षा दांव पर लगा दी गई.


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8 साल तक बसों में महिलाओं को मिली सुरक्षा


कैबिनेट मंत्री आतिशी ने लिखा, 'बस में मार्शल तैनात करने की योजना से 8 सालों तक महिलाओं और बच्चों को दिल्ली की बसों में सुरक्षा मिलती रही. एलजी कार्यालय की ओर से अचानक मार्शल की सैलरी रोकने और ड्यूटी खत्म करने से न सिर्फ उनकी रोज़ी-रोटी छिनी, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी प्रभावित हुई. उन्होंने मांग की कि CDVs की तुरंत बहाली के लिए मानवीय दृष्टिकोण से निर्णय लिया जाए.'


एलजी को संबोधित अपने पत्र में आतिशी ने लिखा, 'जैसा कि आप जानते हैं, एनसीटी दिल्ली सरकार ने हमारी डीटीसी और क्लस्टर बसों को महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए 2015 में बस मार्शल योजना की परिकल्पना की थी. 2015 से 2023 तक लगभग 8 वर्षों तक ये बस मार्शल पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे. सार्वजनिक बसों में वर्दीधारी कर्मियों की उपस्थिति ने यात्रियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा की भावना प्रदान की और उन्हें असामाजिक तत्वों से बचाया. 


बसों में अप्रिय गतिविधि होने से रोका


जिस अवधि के दौरान वे कार्यरत थे, ऐसे कई उदाहरण सामने आए जहां बस मार्शलों ने यात्रा के लिए सकारात्मक अनुकूल वातावरण बनाते हुए बसों में अप्रिय गतिविधियों को होने से रोका. यह योजना इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि गुलाबी टिकट योजना की शुरुआत के कारण महिला यात्रियों की संख्या में तेज वृद्धि हुई थी.


इन बस मार्शलों को मुख्य रूप से एनसीटी दिल्ली सरकार के नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के पूल के माध्यम से तैनात किया गया था. आश्चर्य की बात है कि इस योजना के लागू होने और इसके सफल संचालन के 8 साल बाद, एक पूरी तरह से अप्रत्याशित कदम में, आपके आदेश पर उनका वेतन अचानक रोक दिया गया. उनके कॉलआउट कर्तव्यों को तुच्छ आधार पर समाप्त कर दिया गया, इस प्रकार बस मार्शल योजना अधर में लटक गई. 


अचानक बेरोजगार हो गए सैकड़ों मार्शल


इस बारे में मुख्य तर्क यह दिया गया कि सीडीवी को बस मार्शल के रूप में तैनात करने की व्यवस्था टिकाऊ नहीं थी क्योंकि बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन जैसे पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं. महोदय, बसों में सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाने से सार्वजनिक बसों में सशस्त्र कर्मियों का उद्देश्य कैसे पूरा हो सकता है? केजरीवाल सरकार के लिए महिला यात्रियों की सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि रही है. हम अपने यात्रियों की सुरक्षा के लिए इन सीडीवी को बस मार्शल के रूप में बहाल करने की पुरजोर अनुशंसा करते हैं.


इसके अलावा इस आदेश के कारण बस मार्शल अचानक बेरोजगार हो गए. इससे न केवल सार्वजनिक बसों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, बल्कि इन बस मार्शलों को भी सड़कों पर उतार दिया गया. इनमें से कई बस मार्शल अपना परिवार चलाने के लिए पूरी तरह से इस नौकरी पर निर्भर थे. इन बस मार्शलों को अचानक हटाना एक हृदयहीन कदम है जिसका इस चुनी हुई सरकार ने हमेशा विरोध किया है.


इस मामले पर जल्द सकारात्मक निर्णय की उम्मीद- आतिशी


हमने बस मार्शलों को नियुक्त करने की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए विभाग को कई निर्देश दिए हैं. हालाँकि सेवाएँ आपके डोमेन में हैं, इसलिए यह निर्णय आपकी ओर से लिया जाना चाहिए. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया इस मामले को मानवीय रूप से देखें क्योंकि इस पर आपको तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. दिल्ली में निर्वाचित सरकार के रूप में, हम बस मार्शलों को उनकी नौकरियों में बहाल करने के लिए आवश्यक हर संभव सहायता और समर्थन देने के लिए तैयार हैं. हमें उम्मीद है कि इस मामले पर विचार किया जाएगा और जल्द से जल्द कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा.