नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी करने के आरोपी नवनीत कालरा की जमानत अर्जी साकेत कोर्ट ने खारिज कर दी. पुलिस की पकड़ से दूर नवनीत कालरा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने वकील विकास पाहवा के जरिए अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई हुई थी. जो खारिज कर दी गई. 


सरकारी वकील ने रखी ये दलील


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मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पुलिस की तरफ से पेश हुए सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि केस की जांच अभी शुरुआती दौर में है, और कई सारे सबूत हैं जिनकी जांच की जानी है. उसमें वॉट्सऐप चैट भी हैं. वो मोबाइल अभी तक पुलिस को नहीं मिला है. ऐसे में आरोपी को इस वक्त जमानत देने से केस की जांच पर असर पड़ेगा, क्योंकि आरोपी को कस्टडी में लेकर कई चीजों के बारे में पूछताछ करनी है. आरोपी अगर बेगुनाह था तो उसे पुलिस के सामने पेश होकर जांच में सहयोग करना चाहिए था जबकि वो पुलिस से दूर भाग रहा है. कोर्ट ने पब्लिक प्रोसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव की दलील को सही मानते हुए नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत की अर्जी को डिसमिस कर दिया.


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई जमानत अर्जी पर सुनवाई


दरअसल साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज संदीप गर्ग की कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के दौरान नवनीत कालरा की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट में अपनी दलील दी कि उनका क्लाइंट पेशे से एक ऑप्टिकल स्टोर और रेस्तरां चलाने वाला एक शादीशुदा व्यक्ति है. उसके परिवार में सीनियर सिटीजन माता-पिता हैं. आरोपी दुर्घटनावश 19 अप्रैल को अपने घर मे गिर गया था. जिसकी वजह से उसको चोट आई और 20 टांके लगाए गए. 5 मई को उसने मेदांता अस्पताल में अपने जबड़े की सर्जरी भी करवाई थी. आरोपी कभी किसी भी प्रकार के गैरकानूनी कामों में शामिल नहीं रहा है. आरोपी को जानबूझकर झूंठा फंसाया जा रहा है.


उन्होंने बताया कि जो भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और दूसरा मेडिकल से जुड़ा समान कंपनी बेच रही थी, उसको पूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ही इम्पोर्ट किया गया था. आरोपी सारी चीजें ऑनलाइन ही लोगों को बेच रहे थे. पेमेंट भी ऑनलाइन ली जा रही थी. इसके लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन भी दिया गया था. सभी समान का इम्पोर्ट मैट्रिक्स सेलुलर इंटरनेशनल द्वारा किया गया था जिसका ऑफिस खुल्लर फार्म छतरपुर के मांडी गांव में है. लेकिन कोरोना काल मे डिलीवरी सिस्टम के खराब होने की वजह से मैट्रिक्स कंपनी खान चाचा, टाउन हॉल और और नेगे एंड जू रेस्टोरेंट के जरिए सामान बेच रहे थे. आरोपी नवनीत कालरा ने जो भी किया, कानून के हिसाब से किया उसे जानबूझ कर फंसाया जा रहा है. नवनीत कालरा पुलिस को जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार है, उसे अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए.


छापेमारी में इन चीजों की बरामदगी


बचाव पक्ष की दलील के बाद अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि 5 मई को लोधी कॉलोनी थाने के एसएचओ ने गस्त के फौरन देखा कि 'नेगे एंड जू' रेस्टोरेंट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेचे जा रहे हैं. वहां पर छापा मारने पर 32 बॉक्स 9 एलआरटी, 5 लीटर के थर्मल स्कैनर और केएन-95 के मास्क का एक बॉक्स बरामद किया गया. केस दर्ज करने के बाद गौरव सूरी, सतीश सेठी, हितेश कुमार और विक्रांत को गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद करते थे और उन्हें कोविड- 19 के मरीजों को ऊंची कीमत पर बेच दिया करते थे. पुलिस ने उनकी निशानदेही पर 387 ऑक्सिजिन कंसंट्रेटर, 112 बॉक्स केएन - 95 मास्क, 95 ऑक्सिमिटर बरामद किए. आरोपियो को रिमांड पर लेने के बाद उनसे पूछताछ में पता चला कि खान मार्केट के टाउन हॉल और खान चाचा रेस्टोरेंट से भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद किए गए, जिसका मालिक नवनीत कालरा है. गौरव सूरी, मैट्रिक्स का बिजनेस हेड सेलुलर ने ऑक्सीजन की उन 250 इकाइयों को बेचने के बारे में खुलासा किया था.


सरकारी वकील ने किया जमानत का विरोध


अभियोजन पक्ष की तरफ से अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए वरिष्ट वकील अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों ने कोविड के मरीजों को न सिर्फ मनमानी कीमत पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेचे बल्कि उनकी गुणवक्ता के साथ भी समझौता किया. अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने जप्त किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की गुणवक्ता की जांच के लिए उसे श्रीराम इंस्टीट्यूट भेजा था जहां से प्राप्त हुई रिपोर्ट के अनुसार, बेचे गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर न सिर्फ 20.8 प्रतिशत ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे थे बल्कि वो मानकों के हिसाब से काफी कम थे. 


पुलिस को अभी उन ग्राहकों का भी पता लगाना है जिनको मोबाइल एप्लीकेशन 'X' के माध्यम से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेचे गए. साथ ही बिक्री और खरीद के तरीकों के बारे में, उसके डिलीवरी और भारत में लेन के तरीके की भी जांच करनी है. नवनीत कालरा के पास कोई इम्पोर्ट लाइसेंस नहीं है फिर उनके रेस्टोरेंट में ये मेडिकल का सामान कैसे पहुंचा और क्या ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की गुणवक्ता को जानते हुए भी जर्मनी का बता कर चीन द्वरा बने हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 12500 हजार से 20,669 रुपये के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 70 हजार रुपये में बेच रहा था. पुलिस को अब जांच करनी है कि क्या सिर्फ मुनाफा कमाने के मकसद से मजबूर लोगों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेचे गए? लिहाजा आरोपी नवनीत कालरा को अग्रिम जमानत देने से जांच प्रभावित हो जाएगी. इसलिए आरोपी को इस समय अग्रिम जमानत नहीं मिलनी चाहिए.


अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें और सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों और सरकार के नोटिफिकेशन्स के बारे में गौर से सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया और नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया.