Delhi Govt Liquor Policy: आबकारी नीति मामले (Excise Policy) में सीबीआई (CBI) की ओर से दर्ज केस में आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी को राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करने के साथ-साथ इस मामले में उनकी भूमिका को लेकर सवाल खड़े किए हैं.


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मनीष सिसोदिया के खिलाफ गंभीर गंभीर


राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मनीष सिसोदिया (Manish Sisodiya) के खिलाफ आरोप गंभीर है. 26 फरवरी को ही उनकी गिरफ्तारी हुई है. सिसोदिया की भूमिका को लेकर भी अभी जांच पूरी नहीं हुई है. सिर्फ यही दलील देकर की 7 सहआरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, सिसोदिया जमानत के अधिकारी नहीं हो जाते है. यहां आरोप ऐसे आर्थिक अपराध की साजिश रचने का है, जिससे समाज का बड़ा तबका प्रभावित होता है.


आप नेता को बताया घोटाले का आर्किटेक्ट


कोर्ट ने सिसोदिया को आबकारी घोटाले का आर्किटेक्ट बताया है. कोर्ट ने  कहा है कि आबकारी नीति के निर्धारण और अमल में उनका अहम रोल रहा है. कोर्ट ने जांच एजेंसी की इस दलील को अहमियत दी है कि 90 से 100 करोड़ रुपये मनीष सिसोदिया और उनके साथियों को पहुंचाए गए हैं. इसके एवज में आबकारी नीति में बदलाव (Changes in Excise Policy) कर साउथ इंडियन लॉबी को फायदा पहुंचाया गया है.


सिसोदिया गवाहों को कर सकते हैं प्रभावित


कोर्ट ने आगे कहा कि जिस तरह मोबाइल फोन को नष्ट करने या उसे एजेसियों को सुपुर्द न करने, कैबिनेट नोट से जुड़ी फाइल पेश न करने का मनीष सिसोदिया का व्यवहार रहा है, उससे इस बात की गम्भीर आशंका है कि जमानत मिलने पर वो सबूतों को नष्ट कर सकते हैं या फिर अहम गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि अभी तक  CBI को जो सबूत मिले हैं, उससे न केवल मनीष सिसोदिया की आपराधिक साजिश नजर आती है बल्कि पहली नजर में उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (Prevention of Corruption Act) के तहत मामला बनता है.


सहआरोपियों को मिली जमानत


कोर्ट के मुताबिक अभी तक जिन सहआरोपियों को जमानत मिली है, उनकी भूमिका की तुलना सिसोदिया की भूमिका से नहीं की जा सकती है जिन दो अधिकारियों को जमानत मिली है वो तो सिसोदिया के अंतर्गत काम कर रहे थे. कोर्ट ने कहा कि अभी अगर इस स्टेज पर सिसोदिया को जमानत मिलती है तो अभी चल रही जांच प्रभावित होगी.


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