कोविड बेड को लेकर दिल्ली सरकार बना रही है सिस्टम, आसानी से पता चलेगा कहां खाली है बेड
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि लाॅकडाउन में ढील देने के बाद दिल्ली में कोरोना के केस जरूर बढ़े हैं, लेकिन हालात नियंत्रण में हैं और इससे घबराने की कोई बात नहीं है.
नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि लाॅकडाउन में ढील देने के बाद दिल्ली में कोरोना के केस जरूर बढ़े हैं, लेकिन हालात नियंत्रण में हैं और इससे घबराने की कोई बात नहीं है. दिल्ली सरकार ने 117 प्राइवेट अस्पतालों में 20 प्रतिशत बेड को कोविड के लिए रिजर्व कर दिया है. अब सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कुल 4500 बेड हैं, जिसमें से लगभग 2 हजार बेड इस्तेमाल हो रहे हैं और 2500 बेड अभी खाली हैं. जीटीबी अस्पताल में भी 1500 ऑक्सीजन बेड तैयार किए जा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लाॅकडाउन में ढील देने के बाद पिछले एक सप्ताह में करीब 3500 नए केस आए हैं और 2500 लोग ठीक होकर घर भी गए हैं. वहीं 17 मई को अस्पतालों के 1750 बेड इस्तेमाल हो रहे थे और अब 2 हजार बेड इस्तेमाल हो रहे हैं. कोई भी अस्पताल किसी कोविड मरीज को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकता है. यदि उसके पास कोविड बेड नहीं है, तो दूसरे अस्पताल में बेड दिलाने की उसकी जिम्मेदारी है. दिल्ली सरकार एक सिस्टम बना रही है, जिससे लोगों को आसानी से पता चल जाएगा कि कहां पर बेड उपलब्ध हैं.
केजरीवाल ने कहा कि 17 मई को लाॅकडाउन में काफी ढील दी गई थी. एक सप्ताह बाद यह कह सकता हूं कि स्थिति नियंत्रण में है और कोई भी घबराने वाली बात नहीं है. जब लाॅकडाउन में ढील दी गई थी तब हमें यह उम्मीद थी कि केस में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी और थोड़ी बढ़ोत्तरी हुई भी है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है. मुझे चिंता तब होगी, जब दो बातें होंगी. एक, अगर मौत का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ने लगेगा. जैसा कि मैं बार-बार कहता रहा हूं कि कोरोना आज या कल में जाने वाला नहीं है. अभी कोरोना तो रहेगा. अगर कोरोना होता रहे और लोग ठीक होकर अपने घर जाते रहें, तो चिंता करने का कोई विषय नहीं है. मौत के आंकड़े को हम कम से कम रख सकें, यह जरूरी है. दूसरा, जो केस हो रहे हैं, वह इतने गंभीर ना हों कि हमारे अस्पतालों का पूरा सिस्टम बैठ जाए. अगर हमारे अस्पतालों में इतने मरीज आने लगे कि बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर नहीं मिलेंगे, तब चिंता का विषय होगा. कल तक दिल्ली में कुल 13418 केस पाॅजिटिव आए थे. इनमें से 6540 ठीक हो गए और 6617 लोग अभी बीमार हैं. जितने ठीक हुए हैं, लगभग उतने ही बीमार हैं, जबकि 261 लोगों की मौत हो गई है.
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में अस्पतालों की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कोरोना के सरकारी अस्पतालों में कुल 3829 बेड हैं, जिसमें 3164 बेड में ऑक्सीजन उपलब्ध है. यहां बार-बार ऑक्सीजन की बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि कोरोना की कोई दवा नहीं है। जिस मरीज को कोरोना हो जाता है, उसे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और इस वजह से उसकी सांसें तेज हो जाती हैं. इसलिए उसे ऑक्सीजन देनी पड़ जाती है. कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. मामूली लक्षणों वालों को ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं पड़ती है. सरकारी अस्पतालों के 3829 बेड में से अभी तक केवल 1478 बेड ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं. अभी भी सरकारी अस्पतालों के करीब 2500 बेड खाली हैं. सरकार के पास 250 वेंटिलेटर हैं. उनमें से केवल 11 वेंटिलेटर इस्तेमाल हो रहे हैं और करीब 240 वेंटिलेटर अभी खाली हैं. इसलिए अभी घबराने की कोई बात नहीं है. इसी तरह, निजी क्षेत्र में कुल 677 बेड हैं और उनमें से अभी 509 इस्तेमाल किए जा रहे हैं. अभी 168 बेड खाली हैं. इसीलिए रविवार को सरकार ने दिल्ली के 117 निजी अस्पतालों को अपने 20 प्रतिशत बेड कोरोना के लिए रिजर्व रखने का निर्देश दिया है. इससे प्राइवेट अस्पतालों के अंदर आज से करीब 2 हजार नए बेड उपलब्ध हो गए हैं. अभी तक प्राइवेट अस्पतालों में 677 बेड थे। अब 2000 और बेड उपलब्ध हो गए हैं. प्राइवेट अस्पतालों में 72 वेंटिलेटर हैं, जिसमें सिर्फ 15 इस्तेमाल हो रहे हैं. मोटे तौर पर प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में वर्तमान में कुल 4500 बेड हैं, जिसमें से लगभगत 2 हजार बेड इस्तेमाल हो रहे हैं और 2500 बेड अभी खाली हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली में आ रहे अधिकतर कोरोना के केस मामूली लक्षणों वाले हैं. मरीजों को मामूली खांसी या बुखार है. कई लोगों में कोई लक्षण नहीं है. उन्हें पता ही नहीं चलता है कि उन्हें कोरोना हैं. जांच कराने पर उन्हें इसकी जानकारी होती है. अधिकतर केस ऐसे आ रहे हैं और इन्हें अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे लोगों को हम होम आइसोलेशन में रखते हैं. दिल्ली सरकार की एक हेल्थकेयर की टीम उनसे प्रतिदिन बात करती है. उन पर हम लोग नजर रखते हैं कि कहीं कोरोना बढ़ गया, तो उन्हें अस्पताल में शिफ्ट कर देंगे. वर्तमान में दिल्ली के अंदर 3314 लोगों का घर पर ही इलाज चल रहा है. 117 प्राइवेट अस्पतालों में अब 20 प्रतिशत बेड कोरोना मरीज के लिए होंगे. इसी तरह, हम जीटीबी अस्पताल को तैयार कर रहे हैं. जीटीबी अस्पताल के 1500 बेड होंगे. यह सभी ऑक्सीजन बेड होंगे. अब हमारे पास 1500 और बेड कोरोना के लिए तैयार हो जाएंगे. इस तरह करीब 4500 बेड पूरी तरह से कोरोना के लिए हो जाएंगे. दिल्ली सरकार ने कल करीब 2 हजार और बेड को ऑक्सीजन बेड में बदलने का आदेश दिया है. अगर कोरोना बीमारी के गंभीर मरीजों में अचानक वृद्धि होती है तो हम तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि 17 मई को लाॅकडाउन में ढील दी गई थी. उस दौरान दिल्ली में कुल 9755 केस थे और आज 13418 हैं. एक सप्ताह के अंदर करीब साढ़े तीन हजार मरीज बढ़ गए हैं. इसी के साथ एक सप्ताह के अंदर 2500 लोग ठीक होकर घर चले गए. लोग बीमार भी हो रहे हैं, लेकिन साथ-साथ ठीक भी होते जा रहे हैं. महत्वपूर्ण यह है कि पिछले एक सप्ताह में करीब 3500 नए मरीज आए और 17 मई को अस्पतालों में 1750 मरीज भर्ती थे और आज 2 हजार बेड ही भरे हैं. इस तरह करीब 250 नए मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिन पहले पता चला कि एक प्राइवेट अस्पताल में एक मरीज गया. उस मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. दो दिन बाद अस्पताल ने उसकी जांच कराई और दो दिन बाद रिपोर्ट पाॅजिटिव आई. इसके बाद अस्पताल ने कहा कि आप कोविड-19 के मरीज हैं और हम आपका इलाज नहीं करेंगे. आप अपने लिए बेड ढूंढ लीजिए. ऐसे में मरीज अपना बेड कहां तलाशेगा और वह कहां जाएंगा. कोई भी अस्पताल इस तरह किसी भी मरीज को बाहर नहीं निकाल सकता है. हमने उस प्राइवेट अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उससे पूछा गया कि आपका लाइसेंस क्यों न रद किया जाए. अगर किसी भी अस्पताल में कोई भी मरीज आता है और वह कोविड निकलता है, तो उस अस्पताल की जिम्मेदारी है कि वह अपनी एंबुलेंस में भेज कर किसी सरकारी या निजी अस्पताल में उसे कोविड बेड दिलवाएगा. अस्पताल किसी भी मरीज को इस तरह अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते हैं.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कई बार लोगों को कोविड बेड तलाशने में दिक्कतें आती हैं. जैसा कि हमने बताया कि अभी सरकारी अस्पतालों में 2500 बेड खाली पड़े हैं और अब 2000 प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड खाली मिलेंगे. इस तरह कुल 4500 बेड खाली हैं, लेकिन लोगों को पता ही नहीं चलता है कि किस अस्पताल में बेड खाली है. लोगों को यह पता नहीं चल पाता है कि वे कहां जाएं. इस समस्या के निदान के लिए दिल्ली सरकार एक सिस्टम बना रही है. अगले दो-तीन दिन के अंदर हम उस सिस्टम को सामने लाएंगे, जिसमें कोई भी कोविड का गंभीर मरीज है, उसको बेड चाहिए, तो उसे तुरंत पता चल जाएगा कि कहां जाना चाहिए। हम पूरा सिस्टम बना रहे हैं.