चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने मंगलवार(25 सितंबर) को एसिड अटैक की शिकार पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता देने को मंजूरी दे दी. अब इस अपराध की शिकार पीड़िताओं को मासिक पेंशन मिलेगी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में यहां हुई कैबिनेट की बैठक में इस बाबत फैसला लिया गया. कैबिनेट ने इस पेंशन योजना को मंजूरी दी है, जो जीवनभर एसिड हमलें की शिकार पीड़िताओं की आय का स्रोत बना रहेगा.
एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि यह योजना तेजाब हमले की पीड़ित महिला या लड़की के लिए गरिमा के साथ जीने के अधिकार को एक हद तक बहाल करने की कोशिश करती है. दो मई 2011 के बाद तेजाब हमले की शिकार हुई कोई भी महिला इस योजना के दायरे में आएगी. आर्थिक सहायता अक्षमता के प्रतिशत के आधार पर दी जाएगी. पूर्व में हुए कैबिनेट बैठक में ऐसे पीड़ितों को जन वितरण प्रणाली की दुकानों के आवंटन में भी वरीयता देने की बात कहीं गई थी. 


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आर्थिक सहायता पाने के लिए क्या है सरकारी प्रावधान 
मुख्यमंत्री खट्टर के अनुसार हरियाणा सरकार उन्ही एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं को सहायता राशि देगी जो सरकार के लागू विकलांग व्यक्तियों (समान अवसर, पूर्ण भागीदारी के अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1995 अंतर्गत आतीं हो. लेकिन फिलवक्त इस एक्ट में एसिड अटैक से सम्बंधित कोई भी प्रावधान का  जिक्र फिलवक्त नहीं हैं. 


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जाने अब तक कितनी महिलाएं हुई हैं एसिड अटैक की शिकार 
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 2010 में ऐसे 27 घटनाएं सामने आई वहीं जनवरी 2002 से अक्तूबर 2010 तक पुरे देश में 153 एसिड अटैक की घटनाओं को दर्ज किया गया. साल 2014 में यह आंकड़ा बढ़ कर 309 पहुंच गया. वहीं 2011, 2012 और 2013 में यह आंकड़ा क्रमशः  83, 85 and 66 रहें। 
पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था  मुआवजा राशि देने का आदेश
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एसिड अटैक से प्रभावित पीड़िताओं को 3 लाख रूपए की सहायता राशि देने का आदेश जारी किया था. यह आदेश 2006 में एसिड अटैक की शिकार लक्ष्मी की जनहित याचिका पर की गयी सुनवाई के दौरान दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में भी ऐसे हमलो से पीड़ित महिलाओं और लड़कियों को पुरे देश के किसी भी हॉस्पिटल में बेहतर इलाज मुहैया कराने का भी आदेश दे रखा है.