Delhi: 4 लाख से अधिक छात्रों ने छोड़ा प्राइवेट स्कूल, सरकारी स्कूल में कराया एडमिशन
Delhi News: शिक्षा मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां बच्चे निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में चार लाख से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों से जुड़ गए हैं.
Delhi News: शिक्षा मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां बच्चे निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में चार लाख से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों से जुड़ गए हैं. आतिशी ने पीतमपुरा के कोहाट एन्क्लेव में बी आर आंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस (एएसओएसई) की एक नयी शाखा का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही.
उन्होंने कहा कि यह नया स्कूल छात्रों को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा. उन्होंने छात्रों को एएसओएसई की नयी शाखा में उपलब्ध सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए दिल्ली सरकार के विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए आतिशी ने कहा, ‘‘हमारे सरकारी स्कूलों ने एक लंबा सफर तय किया है और छात्र अब इस पर गर्व महसूस करते हैं. पिछले कुछ वर्षों में चार लाख से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों की ओर रुख कर चुके हैं. दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां बच्चे निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं. ’’
दिल्ली सरकार के मुताबिक, कोहाट एन्क्लेव के एएसओएसई से पीतमपुरा, आनंदवास पुनर्वास कॉलोनी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी और रोहिणी के कुछ इलाकों के बच्चों को फायदा होगा. चार मंजिला इस स्कूल में 50 कक्षाएं, नौ प्रयोगशालाएं, दो पुस्तकालय, कार्यालय, स्टाफ रूम, गतिविधि कक्ष, खेल सुविधाएं और एक लिफ्ट है.
इस बीच, आतिशी ने सरकार द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को 100 करोड़ रुपये जारी करने में लगभग 'डेढ़ महीने की देरी' पर वित्त विभाग से सवाल किया है. आतिशी ने कहा कि धनराशि जून में स्वीकृत हुई थी, लेकिन यह अब तक कॉलेजों को नहीं मिली है.
शिक्षा मंत्री ने वित्त विभाग से धनराशि जारी करने की घोषणा और उनके आदेश के कार्यान्वयन के बीच देरी के बारे में भी सवाल किया. आतिशी ने निर्देश दिया कि 100 करोड़ रुपये का दूसरा त्रैमासिक अनुदान बिना किसी देरी के जारी किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक गड़बड़ियों के कारण इन कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशानी नहीं चाहिए और वित्त विभाग को इन मुद्दों पर लचीला दृष्टिकोण रखना चाहिए.
(एजेंसी इनपुट के साथ)