नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक एम्स में अब समोसे, ब्रेड पकौड़े और कोल्ड ड्रिंक नहीं मिलेगी. इसकी जगह अब मोटे अनाज से बनी डिश ने ले ली हैं. सेहत को ध्यान में रखते हुए एम्स की कैंटीन में मिलेट्स से बने खाद्य पदार्थ मिले की शुरुआत कर दी गई है.


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एम्स के डॉक्टरों को अब समोसे ब्रेड पकौड़े और कोल्ड ड्रिंक से छुटकारा मिल सकेगा और डॉक्टरों की कैंटीन में अब मिलेट्स वाला खाना बनेगा. अब खाने के लिए रागी का डोसा, ज्वार की रोटी, बाजरे की खिचड़ी, रागी के लड्डू मिलेंगे. 


अब एम्स प्रशासन ने ऐसे हेल्दी ऑप्शन की शुरुआत कर दी है. AIIMS के Endocrinology विभाग के हेड डॉ. संजय वाधवा के मुताबिक गेंहू में ग्लूटन होता है, जो डायबिटीज को बढ़ा सकता है, जबकि मिलेट्स यानी मोटे अनाज में फाइबर होता है. ऐसे में हम आम लोगों को भी अपने रोज के खाने में मिलेट्स का इस्तेमाल बढ़ाने की सलाह देते हैं. ये मोटा अनाज ज्यादा सेहतमंद माना जाता है. हालांकि डॉक्टरों ने लोगों को पूरी तरह मोटे अनाज पर शिफ्ट होने से बचने को कहा है.


फिलहाल ये सुविधा एम्स के डॉक्टरों की कैंटीन से शुरू हुई है. हालांकि प्रशासन की योजना है कि जल्द ही मरीजों की कैंटीन में भी पोहा, उपमा जैसे स्नैक्स लाए जाएं और समोसा और पकौड़े पूरी तरह बैन कर दिए जाएं.  


जानिए क्या होते हैं  MILLETS 


पर्ल मिलेट्स (Pearl millet) यानी बाजरा : कोलेस्ट्रॉल कम करता है और वजन घटाता है. बाजरे की खिचड़ी, लड्डू और खीर बनाई जा सकती है. 


फिंगर मिलेट्स (Finger millet) यानी रागी : ग्लूकोज की मात्रा कंट्रोल करता है और इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है. रागी का डोसा, इडली, चीला, और बिस्किट भी बनाए जा सकते हैं.


रामदाना: भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है. इससे टिक्की, सलाद और लड्डू बनाए जा सकते हैं. 


Buckwheat millet यानी कुट्टू : पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. कुट्टू के पकौड़े, पूरी और रोटी बनाई जा सकती है.


Barnyard millet यानी सामक : यह फाइबर से भरपूर होता है और सामक के चावल, दलिया, और खीर बनाई जा सकती है. 


Foxtail millet यानी कंगनी: दिल, बालों और त्वचा की सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इससे डोसा और चीला बनाए जा सकते हैं.