Amit Shah on CAA: साल 2024 चुनावी साल है. इस साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर तमाम पार्टियां लगातार अपनी तैयारियां पुख्ता करने में जुट चुकी हैं. ऐसे में इन दिनों लगभग रोजाना राजनीतिक पार्टियों और उनसे जुड़े नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. बीते कल प्रधानमंत्री ने ये ऐलान किया कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा जाएगा. वहीं अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ये एलान कर डाला है कि लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी (CAA) लागू किया जाएगा.


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यह किसी की नागरिक्ता छीनने के लिए नहीं
गृहमंत्री शनिवार 10 फरवरी को एक टीवी कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA साल 2019 में पारित किया गया था. सीएए देश का कानून है. ऐसे में किसी को कंफ्यूजन नहीं रखना है. लोकसभा चुनाव से पहले ही सीएए को अमल में आना है. इस दौरान गृहमंत्री ने यह भी कहा कि हमारे मुस्लिम भाइयों को CAA के खिलाफ गुमराह किया जा रहा है और उन्हें भड़काया जा रहा है. यह कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं बल्कि उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत में आए हुए हैं.


देश की जनता देगी आशिर्वाद
अमित शाह ने 370 का जिक्र करते हुए कहा कि हमने संविधान के अनुछेद 370 को निरस्त कर दिया, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था. इसलिए हमारा मानना है कि देश की जनता भाजपा को आशिर्वाद देगी. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने वाली है. इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को 370 सीटें तो वहीं पूरे NDA गठबंधन को 400 सीटें मिलेंगी. गृहमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों पर किसी भी प्रकार का कोई सस्पेंस नहीं है. यहां तक की कांग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियों को भी इस बात का एहसास हो चुका है कि उन्हें एक बार फिर से विपक्षी बेंच पर बैठना होगा.


UCC पर बोली ये बड़ी बात
वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने समान नागरिक संहिता यानी UCC पर कहा कि यह देश का संवैधानिक एजेंडा है, जिसपर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू समेत अन्य ने हस्ताक्षर किया है, लेकिन कांग्रेस ने तुष्टिकरण की वजह से इसे नजर अंदाज कर दिया था. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना एक समाजिक तौर पर बदलाव है. एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर नागरिक संहिता नहीं हो सकती है.