नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बाद बीजेपी ने पार्टी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है, लेकिन अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दिल्ली पुलिस ने अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. असदुद्दीन ओवैसी पर भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया गया है. इस एफआईआर में स्वामी यति नरसिम्हानंद का भी नाम शामिल है. 


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दिल्ली पुलिस ने समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के चलते भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर मामला दर्ज किया है. दिल्ली पुलिस अब सोशल मीडिया पर झूठ फैलाने और भड़काऊ बयान देने को लेकर सख्ती से पेश आ रही है.


पुलिस ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के अलावा मौलाना मुफ्ती नदीम, अब्दुर रहमान, शादाब चौहान, सबा नकवी, गुलजार अंसारी, अनिल कुमार मीणा और पूजा शकुन के खिलाफ भी केस दर्ज किया है. साथ ही कई सोशल मीडिया संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की गई.


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इधर अपने खिलाफ केस दर्ज होने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कहा, मुझे FIR का एक अंश मिला है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि उनका अपराध क्या है. हम इससे भयभीत नहीं होंगे. जहां तक एफआईआर (FIR) की बात है तो हम अपने वकीलों से सलाह लेंगे और जरूरत पड़ने पर इसका समाधान करेंगे. ओवैसी ने कहा कि अभद्र भाषा की आलोचना करने और अभद्र भाषा का प्रयोग करने की तुलना नहीं की जा सकती.



ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस में यति, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ मामलों को आगे बढ़ाने का साहस नहीं है. यही वजह है कि मामले में देरी और कमजोर प्रतिक्रिया जारी है. वास्तव में यति ने मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार को बढ़ावा देने और इस्लाम का अपमान करके अपनी जमानत की शर्तों का बार-बार उल्लंघन किया है.


ओवैसी ने तंज कसा कि दिल्ली पुलिस शायद हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों को ठेस पहुंचाए बिना इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का तरीका सोचने की कोशिश कर रही थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस "संतुलनवाद" सिंड्रोम से पीड़ित है. एक पक्ष ने खुले तौर पर हमारे पैगंबर का अपमान किया है, जबकि दूसरे पक्ष का नाम भाजपा समर्थकों को समझाने और ऐसा दिखाने के लिए दिया गया है कि दोनों पक्षों के बयानों में अभद्र भाषा थी.


योगी आदित्यनाथ पर भी साधा निशाना 


ओवैसी ने कहा कि हिंदुत्व संगठनों की एक संस्कृति है, जहां अभद्र भाषा और उग्रवाद को पदोन्नति के साथ पुरस्कृत किया जाता है. उदाहरण के लिए योगी की नफरत को लोकसभा सीटों और सीएम बनाकर पुरस्कृत किया गया. मोदी के नफरत भरे भाषणों को इसी तरह पुरस्कृत किया गया.


वास्तव में जिन लोगों ने मुझे गोली मारने की कोशिश की, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि वे प्रमुख हिंदुत्व राजनेता बन सकें. यह संस्कृति खत्म होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर मोदी ईमानदार होते तो वे नकली संतुलनवाद में शामिल हुए बिना अभद्र भाषा पर मुहर लगाते.


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