Ram Mandir: कब हुई अयोध्या की स्थापना, किसने किया पुराने राम मंदिर का निर्माण, जानें इससे जुड़ा इतिहास
Ram Mandir History: अयोध्या का पुराना नाम साकेत हुआ करता था. वहीं त्रेता युग में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी थी, जिसकी वजह से लोग इसे कोसल भी कहते थे. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य द्वारा कराया गया
Ayodhya Ram Mandir History: 22 जनवरी 2024 को लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. सरयू नदी के किनारे बसी इस अयोध्या नगरी के कण-कण में राम बसे हुए हैं, यही वजह है कि ये जगह हमेशा से राम भक्तों के आस्था का केंद्र रही है. आज के आर्टिकल में जानते हैं अयोध्या के पुराना नाम और इससे जुड़ा इतिहास.
अयोध्या का इतिहास
भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या की पहचान देश के प्राचीन शहरों में होती है, जिसे साकेत के नाम से भी जाना जाता है. अयोध्या प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था, जिसकी राजधानी साकेत (अयोध्या) थी. प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी अयोध्या का जिक्र मिलता है, जिनके अनुसार अयोध्या की स्थापना 2200 ई.पू. के आसपास हुई. वहीं कई प्राचीन ग्रंथों, गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस मानस में भगवान राम की जन्म स्थली के रूप में अयोध्या का उल्लेख किया गया है.
अयोध्या का पुराना नाम
अयोध्या नगर निगम की वेबसाइट पर मिली जानकारी के अनुसार, अयोध्या का पुराना नाम साकेत हुआ करता था. त्रेता युग में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी हुआ करता था, जिसकी वजह से कई लोग इसे कोसल भी कहते थे. इसके अलावा अयोध्या को अयुद्धा के नाम से भी जाना जाता है.
अयोध्या की स्थापना
सतयुग में अयोध्या को वैवस्वत मनु ने बसाया था. इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध वैवस्वत मनु के 10 पुत्र थे, जिसमें इक्ष्वाकु कुल का सबसे ज्यादा विस्तार हुआ. इक्ष्वाकु कुल में आगे चलकर प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ.
राजा विक्रमादित्य ने कराया राम मंदिर का निर्माण
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य द्वारा कराया गया. राजा विक्रमादित्य जब अयोध्या में आखेट करने के लिए आए तो उन्हें भूमि पर कुछ चमत्कार दिखा, इसके बाद राजा ने खोज कराई. खोज के बाद पता चला कि ये भगवान राम की जन्मभूमि है, जिसके बाद राजा विक्रमादित्य ने यहां राम मंदिर का निर्माण कराया.
14वीं शताब्दी में हुआ बाबरी मस्जिद का निर्माण
14वीं शताब्दी में जब भारत में मुगलों का शासन हुआ तो राम मंदिर को नष्ट कर दिया गया. 1525 में बाबर के सेनापति मीर बांकी ने राम मंदिर को ध्वस्त किया, जिसके बाद यहां बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ.
राम मंदिर के पक्ष में फैसला
अयोध्या की भूमि पर राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर सालों विवाद चला, जिसके बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. फैसले के 5 साल के बाद राम लला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है, जिस पर 22 जनवरी 2024 को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.