Bulldozer Action: दिल्ली के इस इलाके की वजह से पूरे देश में थमा बुलडोजर एक्शन! जानिए कैसे?
Delhi Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई है. यह फैसला 2022 में दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए बुलडोजर एक्शन के बाद दायर याचिकाओं के आधार पर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के अपराधी होने की वजह से उसके पूरे परिवार के घर को गिराना उचित नहीं है.
Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. अब कोर्ट से अनुमति लिए बगैर यह कार्रवाई नहीं की जा सकेगी. हालांकि, यह आदेश सड़कों, फुटपाथों, रेलवे ट्रैक और जलाशयों पर हुए अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा. इस मामले की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को तय की गई है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि देश में बुल्डोजर एक्शन रुकवाने में दिल्ली का योगदान कैसे है?
दिल्ली के जहांगीरपुरी से उठा था विवाद
दरअसल, अप्रैल 2022 में दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में बड़े पैमाने पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं. अदालत में सुनवाई के बाद इस कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि किसी व्यक्ति को सजा देने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल करना उचित नहीं है. इस पर पूर्ण रूप से रोक लगनी चाहिए.
पूर्व राज्यसभा सांदस वृंदा करात ने दाखिल की थी याचिका
पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात ने भी एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने शोभा यात्रा के दौरान हुई हिंसा के बाद जहांगीरपुरी में हुई बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती दी थी. यह कार्रवाई उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा की गई थी. सितंबर 2023 में इस मामले की सुनवाई हुई, जहां याचिकाकर्ताओं के वकील ने आरोपियों के घरों को गिराए जाने पर चिंता जताई थी.
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जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने भी की थी शिकायत
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील का तर्क था कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का अधिकार है, जो घर के अधिकार से भी जुड़ा है. उस दौरान जिन घरों को गिराया गया था कोर्ट से उनको दोबारा बनाने के लिए आदेश देने की अपील की गई थी. जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने भी कोर्ट में कहा कि अप्रैल 2022 के दंगों के बाद जहांगीरपुरी में कई लोगों के घर तोड़ दिए गए थे, जिन पर दंगे भड़काने का आरोप था.
कोर्ट ने दी ये टिप्पणी
ऐसे में लंबी बहस के बाद कोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी के खिलाफ अपराध के आरोप होने मात्र से उसका घर नहीं गिराया जा सकता. कानून के अनुसार ही अवैध निर्माण पर कार्रवाई होनी चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि किसी पिता का बेटा भले अड़ियल हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पूरे परिवार का घर गिराना सही नहीं है.
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