Delhi News: ई-कॉमर्स नीति और नियमों को तत्काल जारी करने का आग्रह करते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के व्यापारियों की ओर से एक याचिका भेजी है. व्यापारियों का कहना है कि विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफडीआई पॉलिसी के प्रेस नोट की शर्तों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के कारण भारतीय व्यापारियों के व्यापार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है. इसकी वजह से धीरे-धीरे व्यापार चौपट होता जा रहा है.


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प्रधानमंत्री मोदी को भेजी याचिका में कैट ने उल्लेख किया है कि ई-कॉमर्स नीति और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नियमों का मसौदा पहले ही डीपीआईआईटी और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार किया जा चुका है. जैसा कि 2 अगस्त को आयोजित स्टेक होल्डर्स की बैठक में बताया गया था. 


कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह याचिका देने का कारण इस तथ्य पर आधारित है कि छोटे व्यवसायों द्वारा संचालित भारत के खुदरा व्यापार को विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों से दिन पर दिन खतरा बढ़ रहा है. यह कंपनियाँ खुले आम एफडीआई नीति का उल्लंघन कर देश के बाजार को खराब कर रही हैं. साथ ही व्यापार करने के एक समान अवसर बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं, जैसा कि एफडीआई नीति, 2018 के प्रेस नोट नंबर 2 में स्पष्ट रूप से कहा गया है. कॉमर्स नीति और नियमों के अभाव में वो भारत के बाजार में अपनी मनमानी कर रहे हैं.


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याचिका में लिखा है कि ये ऑनलाइन खुदरा विक्रेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं और अन्य सामानों की बिक्री मूल्य को प्रभावित करते हुए नीति का बड़े पैमाने पर उल्लंघन कर रहे हैं. जिससे खुदरा व्यापार को भारी नुकसान हुआ है और उन्हें गैर-प्रतिस्पर्धी बना दिया गया है. यदि ये ऑनलाइन खुदरा विक्रेता कानून के अनुसार व्यापार करते तो हम ई कॉमर्स उद्योग में अपने स्वयं के कई उद्यमी पैदा कर सकते थे और बाद में लाखों नौकरियां पैदा कर सकते थे.


 ई-कॉमर्स क्षेत्र में हमारे अपने उद्यमियों द्वारा लाखों नौकरियां पैदा करने के अवसर और इन कंपनियों द्वारा पूंजी जलाने के माध्यम से मेनलाइन रिटेल में और अन्य क्षेत्रों में नौकरी के नुकसान को जोड़ दें तो यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है बल्कि आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है.


हमारे देश में ई-कॉमर्स डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण तत्व है और लाखों व्यवसायों और नौकरियों के सृजन के लिए एक वरदान की तरह है, जो हमारे देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए बहुत आवश्यक है. लेकिन अंतर्दृष्टि और समझ की कमी के कारण हम इन ई-कॉमर्स कंपनियों की इच्छाओं के कारण अपना व्यापार खो रहे हैं.


दोनों व्यापारी नेताओं ने आश्वासन दिया कि भारतीय व्यापारी व्यापार में डिजिटल तकनीक को अपनाने और स्वीकार करने के लिए इच्छुक हैं, लेकिन समान स्तर का व्यापारिक वातावरण न होने से भारतीय ऑनलाइन रिटेल को एक बड़ा परिदृश्य बनाने का कोई मौका नहीं मिल रहा है.