Chhath 2023: महापर्व छठ बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. चार दिनों का यह महापर्व आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हुआ. अब फिर एक साल बाद छठ महापर्व पर श्रद्धालु छठी मैया की पूजा-अर्चना करेंगे. देश-विदेशों में छठ महापर्व को मनाया गया. इसी कड़ी में राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में भी छठ का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया.


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महापर्व का समापन
दिल्ली के बख्तावरपुर गांव में भी छठ पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. इसके लिए घाट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा सूर्य और छठ्ठी मैया को अर्घ्य दिया. व्रतियों ने ठंडे पानी में खड़े होकर सूर्योदय का इंतजार किया फिर बाद में अर्घ्य देकर चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को मनाया. बीते शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को भी व्रतियों ने अर्घ्य दिया.


कड़कड़ाती ठंड में करना पड़ा इंतजार
आज सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालु अपने पूजा-पाठ का समान लेकर सर पर बड़े-बड़े दउरा रखकर पहुंचे और ठंडी जलधारा के बीच खड़े होकर सूर्य देवता को समय सीमा अनुसार अर्घ दिया. ऐसी मान्यता है कि छठ्ठी मैया से जो मांगा जाए वह पूरा होता है. श्रद्धालु बड़े ही आस्था के साथ सरोवर के बीच में खड़े थे. वहीं कुछ श्रद्धालु छठ घाट के चारों तरफ बैठकर सूर्योदय का इंतजार किया. सूर्योदय के बाद लोगों की रातभर की प्रतीक्षा पूरी हुई.


पॉल्यूशन की वजह से नहीं दिखे सूर्यदेव
आपको बता दें कि बख्तावरपुर के इस ताल छठ घाट पर रातभर ठंड में श्रद्धालुओं ने सूर्य देवता का इंतजार किया, लेकिन दिन निकलते ही यहां हर रोज की तरह श्रद्धालुओं को स्मोक का सामना करना पड़ा 7:15 के बाद भी सुबह सूर्य देवता की पहली किरण दिखाई नहीं दी  फिर भी श्रद्धालुओं ने समय सुविधा अनुसार सूर्य देवता को अर्घ्य दिया. हर एक श्रद्धालु के मन में आस्था थी कि जैसे ही सूर्य उदय होगा वैसे ही उदय होते हुए सूर्य देवता को अर्ध देकर तमाम महापर्व की पूजा पाठ की विधि-विधान को पूरा किया जाएगा, लेकिन राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन इस कदर है कि सूर्य देवता तो दूर की बात लोगों को सांस लेना भी दुर्लभ हो रहा है. फिर भी स्मोग के बीच श्रद्धालुओं ने इस महापर्व के विधि विधान के अनुसार पूरा किया.


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नहीं थी लाइट की व्यवस्था
फिलहाल आपको बता दें राजधानी दिल्ली में कुछ ऐसी जगह भी थी जहां पर दिल्ली सरकार की कुछ नुमाइंदों के चलते लापरवाहियां बरती गईं. बख्तावरपुर का यह छठ घाट रातभर अंधेरे में पसरा रहा क्योंकि यहां लाइट व्यवस्था नहीं थी और सुविधा देने के नाम पर लोगों को छठ घाट बनाकर तैयार किया गया था. इस घाट में आसपास के करीब 5 से ज्यादा गांव में रहने वाले पूर्वांचल समाज के लोग छठ पूजा करने पहुंचे, जिन्हें रातभर अंधेरे में छठ पूजा में होने वाले विधि विधान को पूरा किया गया.