Delhi News: पिछले सात साल से दिल्ली में सैकड़ों सील दुकानों की डी-सीलिंग में आ रही अड़चनों के लिए AAP ने BJP को जिम्मेदार बताया है. AAP का कहना है कि केंद्र सरकार के इशारे पर MCD के कमिश्नर सैकड़ों सील दुकानों को डी-सील नहीं कर रहे हैं. AAP नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि 18 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की ज्यूडिशियरी कमेटी ने सीलिंग को गैरकानूनी बताते हुए आदेश दिया कि कमर्शियल जमीन पर बनी दुकानों से कंवर्जन चार्ज नहीं ले सकते. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सौरभ भारद्वाज का कहना है कि MCD की AAP सरकार ने सदन में प्रस्ताव पास कर दुकानों को डी-सील करने का आदेश दिया है. फिर भी MCD के कमिश्नर आदेश मानने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि MCD ने सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के कहने पर दुकानों को सील किया था और अब कोर्ट की ज्यूडिशियरी कमेटी के आदेश पर सीलिंग नहीं खोल रहे हैं. सच ये है कि भाजपा की केंद्र सरकार MCD कमिश्नर के साथ खड़ी है. इसलिए वो MCD सदन के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर रहे हैं. वहीं, AAP नेता आतिशी ने कहा कि MCD की AAP सरकार व्यापारियों के साथ खड़ी है. हम सड़क से लेकर कोर्ट तक व्यापारियों के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे. 


सौरभ भारद्वाज ने कहा कि साल 2017 की सर्दियों में साउथ दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी की पॉश मार्केट में MCD वालों ने अचानक दुकान और रेस्टोरेंट्स के बेसमेंट, फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड फ्लोर को सील कर दिया. उस दौरान बुजुर्ग MCD के आगे हाथ जोड़ते रहे कि इस तरह हमारा काम-धंधा खत्म कर दोगे तो हम तो सड़क पर आ जाएंगे, लेकिन वो नहीं रुके. एमसीडी का सीलिंग करने का सिलसिला यहीं नहीं रुका और राजेंद्र नगर, ग्रेटर कैलाश, ग्रीन पार्क, हौजखास, साउथ एक्स समेत दिल्ली के कई जगहों पर हजारों दुकानें सील कर दी गईं और लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया गया.


ये भी पढ़ें- Arvind Kejriwal: गोवा दौरे पर गरजे CM केजरीवाल, कहा- 75 साल में पहली बार काम पर राजनीति


साल 2017 से अब तक करीब 7 साल बाद भी उन लोगों के काम-धंधे बंद हैं और दिल्ली के बाकी व्यापारियों के सिर पर भी सीलिंग की तलवार लटकी हुई है. दुकानों को सील करने के पीछे एमसीडी तर्क देती है कि सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के कहने पर यह कार्रवाही की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी जो कहेगी, वह हम करेंगे. वहीं, दुकानों को सील करने के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी साल 2017 से लगातार प्रेस कांफ्रेंस कर कहती रही है कि सीलिंग की ये कार्रवाई पूरी तरह से गैरकानूनी है और दुकानदारों को डराया और धमकाया जा रहा है.


सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी के सीलिंग की कार्रवाई के बाद कई सारे व्यापारी कोर्ट गए. सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि ऐसे काफी सारे केस आ रहे हैं तो उन्होंने सीलिंग, डिसीलिंग और इससे जुड़े मामलों के लिए दो जजों की जुडिशल कमेटी गठित कर दी. कमेटी ने साल 2022 से 2023 तक लगातार इन केसों को सुना. 18 दिसंबर 2023 को जुडिशल कमेटी ने आदेश दिया कि लोकल शॉपिंग सेंटर्स में जितनी भी दुकानें सील की गई हैं, वह गैरकानूनी है और एससीडी कन्वर्जन चार्ज नहीं वसूल सकती है. क्योंकि ये दुकानें पहले से ही कमर्शियल जमीन पर बनी हुई हैं. रेजिडेंशियल को कमर्शियल में कनवर्ट करने पर कन्वर्जन चार्ज लिया जाता है, लेकिन जो पहले से ही कमर्शियल है उसको एमसीडी किसमें कनवर्ट कर रही है. उस समय की बीजेपी शासित एमसीडी को यह बात समझ में नहीं आई और सैकडों करोड़ रुपये दुकानदारों से लूटे गए. इसके बावजूद भी दुकानें सील कर दी गईं.


साल 2023 की शुरुआत में जब एमसीडी में आम आदमी पार्टी सत्ता में आई तो सीएम अरविंद केजरीवाल मार्च 2023 में दुकानदारों के लोकल फेडरेशन के सभी पदाधिकारियों से मिले. उस समय दुकानदारों ने मुझसे और MCD की मेयर शैली ओबेरॉय से कहा कि इस मुद्दे पर एमसीडी के कमिश्नर से मिलें और इसे सुलझाएं. हमने तब एमसीडी के कमिश्नर और अन्य अधिकारियों से बात की, लेकिन उन्होंने बात नहीं सुनी. इसके बाद दुकानों को डी- सील करने के लिए एमसीडी के हाउस में प्रस्ताव पास किया गया. उस प्रस्ताव को भी कमिश्नर ने नहीं माना और वो मुकदमा जुडिशल कमेटी में लड़ने चले गए. जब 6 साल बाद 18 दिसंबर 2023 सुप्रीम कोर्ट की जुडिशल कमेटी का आदेश आया तो 23 दिसंबर 2023 को एमसीडी हाउस की बैठक हुई और प्रस्ताव पास किया गया कि दुकानों को डिसील किया जाए. इसके बाद भी कमिश्नर नहीं माने और अपील करने सुप्रीम कोर्ट चले गए. सुप्रीम कोर्ट में जब एमसीडी के कमिश्नर के वकील कह रहे थे कि इन दुकानों को सील रखना चाहिए. इसके बाद एमसीडी के मेयर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए और कहा कि मैं एमसीडी के हाउस को प्रेजेंट कर रहा हूं. एमसीडी के हाउस ने रेजोल्यूशन पास किया है कि इन दुकानों को तुरंत डिसील किया जाए, लेकिन कमिश्नर कह रहे हैं कि मैं डिसील नहीं करूंगा. जब साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने कहा कि सील कर दो, इन्होंने आंख बंद कर दुकानें सील कर दी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की ज्यूडिशियरी कमेटी कह रही है कि डिसील कर दो तो डिसील नहीं कर रहे.


सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ज्यूडिशियरी कमेटी मॉनिटरिंग कमेटी के ऊपर है. ज्यूडिशियरी कमेटी का काम मॉनिटरिंग कमेटी ने सही कार्य किया या नहीं, इसको देखना था. लेकिन ज्यूडिशियरी कमेटी की बात भी कमिश्नर नहीं मान रहे. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कमिश्नर को बुलाया, शहरी विकास मंत्री होने के नाते मैंने भी कमिश्नर को बुलाकर मीटिंग की थी. मेयर ने मीटिंग कर लिखित में निर्देश जारी किए थे. हाउस ने प्रस्ताव पास कर निर्देश दिए थे, लेकिन कमिश्नर मान नहीं रहे हैं. इसलिए सवाल उठता है कि वो किसकी मान रहे हैं? जाहिर है कमिश्नर को भाजपा की केंद्र सरकार ने लगाया है, जिस दिन केंद्र सरकार चाहेगी, कमिश्नर को हटा देगी. कमिश्नर दुकानों को डिसील नहीं कर रहें, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने उनको रखा हुआ है. कोई अधिकारी छोटा सा कुछ काम कर दे तो केंद्रीय गृह मंत्रालय में चिट्ठी चले जाती है और उसे तुरंत सस्पेंड कर दिया जाता है. यहां मामला दुकानदारों से लिए गए सैकड़ों करोड़ रुपये का है, लेकिन कमिश्नर पर कोई एक्शन नहीं हो रहा है.