Delhi News: सोनम वांगचुक से नहीं मिल पाईं CM आतिशी, LG ने फोन किया और थाने के बाहर से लौटाया
Atishi news: दिल्ली की सीएम आतिशी ने एक्स पर पोस्ट कि मैं सोनम वांगचुक से मिलने बवाना पुलिस स्टेशन पहुंची लेकिन बता दें कि उन्हें वांगचुक से मिलने की नहीं दिया गया. उन्हें थाने के बाहर ले लौटा दिया गया.
Delhi News: सोनम वांगचुक को समर्थन देते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लद्दाख कार्यकर्ता से मिलने के लिए शहर के बवाना पुलिस स्टेशन पहुंचीं, लेकिन उन्हें वांगचुक से मिलने नहीं दिया गया.
चलो दिल्ली क्लाइमेट मार्च
निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक को 150 लद्दाखियों के साथ सोमवार रात से हिरासत में लिया गया है. वांगचुक अपने "चलो दिल्ली क्लाइमेट मार्च" पर हैं, जो उन्होंने 1 सितंबर को लेह में शुरू की थी.
थाने से बाहर से लौटाया
दिल्ली की सीएम आतिशी ने एक्स पर पोस्ट कि मैं सोनम वांगचुक से मिलने बवाना पुलिस स्टेशन पहुंची लेकिन बता दें कि उन्हें वांगचुक से मिलने की नहीं दिया गया. उन्हें थाने के बाहर ले लौटा दिया गया. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मुझे मिलने नहीं दिया।. बताया जा रहा है कि LG साहब का फोन आ गया कि चुने हुए मुख्यमंत्री से मिलने नहीं देना. यह तानाशाही ठीक नहीं है. सोनम वांगचुक जी और लद्दाख के लोग भी LG राज के खिलाफ लड़ रहे हैं, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लड़ रहे हैं.
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एक्स पर पोस्ट कर दी हिरासत में लिए जाने की सूचना
वांगचुक ने एक्स पर पोस्ट किया था कि मुझे हिरासत में लिया जा रहा है. दिल्ली बोर्डर पर 150 पदयात्रियों के साथ 1000 पुलिस बल द्वारा हिरासत में ले लिया है. इसमें कई बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं 80 साल की उम्र की हैं और कुछ दर्जन सेना के दिग्गज भी हैं. उन्होंने कहा था कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, लोकतंत्र की जननी, बापू की समाधि तक सबसे शांतिपूर्ण मार्च पर थे.
वांगचुक और अन्य स्वयंसेवक लेह से नई दिल्ली तक पैदल मार्च पर थे. केंद्र सरकार से उनकी मांगों के संबंध में लद्दाख के नेतृत्व के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह करें. उनकी मुख्य मांगों में से एक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना है, जो स्थानीय आबादी को उनकी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति प्रदान करेगा. संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर भारत में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में आदिवासी क्षेत्रों को नियंत्रित करती है. यह विधायी, न्यायिक, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियों के साथ स्वायत्त परिषदों की स्थापना करता है, जिससे इन क्षेत्रों को स्वतंत्र रूप से शासन करने की अनुमति मिलती है.
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