Money Laundering Case: 35 आरोपियों को ई याचिका भेजने की अनुमति, हाईकोर्ट के आदेश से बचेंगे जनता के 3 लाख रुपये
Delhi High Court News: ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ईडी ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में बताया कि 1,500 पन्नों की याचिका सभी आरोपियों को भेजने में लगभग 3 लाख रुपये खर्च होंगे.
Delhi Excise Policy: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को 2021-22 के शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपनी याचिका 35 आरोपियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजने की अनुमति दी. कोर्ट ने यह आदेश जनता का पैसा बचाने के उद्देश्य से दिया.
दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में बताया कि 1,500 पन्नों की याचिका सभी आरोपियों को भेजने में लगभग 3 लाख रुपये खर्च होंगे. इस पर विचार करते हुए जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने जांच एजेंसी से सभी आरोपियों और उनके वकीलों को याचिका की इलेक्ट्रॉनिक प्रति भेजने की अनुमति दी. अदालत ने कहा कि अगर कोई आरोपी फिजिकल कॉपी की मांग करता है तो उस पर विचार किया जाएगा.
आरोप है कि शराब नीति में बदलाव के दौरान अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को इस नीति को लागू किया था, जिसे विरोध के चलते सितंबर 2022 के अंत में रद्द कर दिया गया था. इस कथित घोटाले में 40 आरोपियों में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और BRS नेता के.कविता भी शामिल हैं.
नवंबर में ट्रायल कोर्ट ने ED को आरोपियों को आरोप पत्र और बाकी अनरेलीड डॉक्यूमेंट्स (जो अभियोजन पक्ष ने मामले के समर्थन में उपयोग नहीं किए हैं) देने का निर्देश दिया था. इसे ही ईडी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ED के वकील ने दलील दी थी कि ट्रायल कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है. उनका कहना था कि ट्रायल कोर्ट ने दस्तावेज की जांच के चरण में ED को अनरेलीड डॉक्यूमेंट्स देने का निर्देश दिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इस चरण में केवल अनरेलीड डॉक्यूमेंट्स की सूची दी जानी चाहिए न कि दस्तावेज. ED ने अदालत से शेष 35 आरोपियों को इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से डॉक्यूमेंट देने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है.
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