Delhi Flood: दिल्ली के बुराड़ी यमुना खादर में बीते दिनों में बाढ़ के चलते किसानों का भारी नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से खेतों में लगी फसले बर्बाद हो गई. साथ ही फिर से जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए किसानों को एक लंबे समय का इंतजार करना पड़ेगा. अब यमुना का पानी उतर चुका है किसान भी अपने खेतों में ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर खेतों की साफ-सफाई करने में लगे हुए हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि जिंदगी की रेलगाड़ी फिर से पहले की तरह पटरी पर जल्द आ जाएगी.


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राजधानी दिल्ली में बीते दिनों यमुना नदी में पानी स्तर बढ़ने से किसानों को भारी नुकासन उठाना पड़ा. किसानों की फसलें बर्बाद हो गई. वहीं एक तरफ तो सब्जियां के दाम आसमान छू रही हैं दूसरी तरफ किसानों की सब्जी की फसल बर्बाद होने के बाद किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे है. यमुना नदी का जलस्तर कम हो चुका है और पहले की तरह किसान फिर से अपने खेतों में पहुंच रहे हैं और जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.


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क्योंकि, यमुना नदी की तेज जलधार में बहकर पहाड़ी इलाकों में ईट, पत्थर, लकड़िया व रेत मिट्टी और कई प्रकार की वस्तुएं आई, जिसके चलते खेत-खलियान भर चुके हैं, वही यमुना नदी का पानी लगातार कई दिन से खेतों में जमा रहने के चलते खेती की जमीन उपजाऊ नहीं रही, जिसे किसानों से साफ व पहले की तरफ फसले उगाने योग्य बनाने में एक लंबा अरसा लगा सकता है.


इस बार यमुना नदी उफान पर होने के बाद किसी ज्वार भाटा की तरह तबाही इस कदर मचाई कि चारों तरफ नुकसान के सिवा किसानों को कुछ और नजर नहीं आ रहा है. अब किसान मायूस इसलिए भी है कि उनकी फसलें नष्ट हो गई और सरकार की तरफ से मुआवजे की भी कोई उम्मीद नहीं, क्योंकि ज्यादातर यमुना खादर इलाके में खेती करने वाले किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता.


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क्योंकि, यमुना खादर इलाका रेड जॉन में आता है. सरकारी विभाग यमुना किनारे फसल लगाने की अनुमति नहीं देता. परंतु किसान दिल्ली सरकार से आर्थिक मद्दत की राह तक रहे है. दिल्ली सरकार हमेशा किसानों की हर बुरे वक्त में साथ खड़ी हुई दिखाई देती है. हालांकि, बाढ़ पीड़ितों को दिल्ली सरकार से आर्थिक सहायता राशि बतौर 10 हजार रुपये भी दे चुकी है.


फिलहाल देखने वाली बात ये होगी कि क्या किसानों का जिस तरीके से भारी नुकसान हुआ है सरकार उसकी भरपाई कर पाएगी या नहीं? क्या फिर किसान पहले की तरह खेतों को फिर से उपजाऊ बनाकर फसलें लगा पायंगे या नही? क्योंकि बाढ़ के बाद किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर इस कदर हो चुकी है कि अब वह अपने खेत में फैसले लागए या फिर जो खेत उगाई पर जमींदार से लिए है. इनकी भरपाई करें.


(इनपुटः नसीम अहमद)