नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (HC) में ईडी (ED) की कार्रवाई के खिलाफ विवो (Vivo) ने 8 जुलाई को याचिका दी थी, जिसमें विवो ने बैंक खातों पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध किया. विवो की तरफ से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि बैंक खातों पर रोक की वजह से कंपनी का रोजमर्रा का कामकाज ठप हो गया है. यह एक तरीके से कंपनी की कमर्शियल डेथ के समान है. इसकी वजह से कंपनी अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है. साथ ही लोगों ने जो आर्डर कैंसिल किए है, उन्हें रिफंड भी नहीं दे पा रही है. करोड़ों रुपयों के वैधानिक बकाया का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है. विवो की तरफ से कहा गया कि अगर बैंक खातों पर लगी रोक को नहीं हटाया गया तो विवो कंपनी को मुकदमेबाजी को भी झेलना होगा.


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8 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी से कहा कि वो बैंक खातों पर लगी रोक को हटाने के दिए गए अनुरोध पर विचार कर जल्द फैसला ले. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सुनवाई 13 जुलाई के लिए टाल दी. 13 जुलाई को यह मामला दुबारा दिल्ली हाई कोर्ट के सामने लगा. इस सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने ये देखते हुए कि ईडी ने विवो कंपनी के अनुरोध पर कोई फैसला नहीं लिया है. इसके बाद कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ विवो को बैंक खातों को ऑपेरेट करने की इजाजत दे दी.


ईडी का कहना था कि विवो कंपनी के ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद पता चला है कि कुल 1200 करोड़ रुपये की विवो की तरफ से हेराफेरी हो सकती है. लिहाजा इतनी रकम को सुरक्षित रखा जाना चाहिए. इस लिहाज से दिल्ली हाईकोर्ट ने चाइनीज कंपनी विवो को 1 हफ्ते में 950 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा कराने की सूरत में ही बैंक खाते ऑपेरेट करने की इजाजत दी है. इसके साथ कोर्ट ने कंपनी को अपने बैंक खातों में 251 करोड़ रुपये का बैलेंस बरकरार रखने को भी कहा है. कोर्ट ने ED से कहा कि वो हर 48 घंटे में इन बैंक खातों से भेजे जाने वाले पैसे की जानकारी ED को दें. इसके अलावा कोर्ट ने बैंक खाते फ्रिज करने की कार्रवाई पर ED को भी जवाब दाखिल करने को कहा है.


विवो का अपराध राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा
इसी बीच ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि उसकी ओर से विवो कंपनी के जिन खातों को फ्रीज किया गया है. उनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया था. विवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस कोई सामान्य मामला नहीं है, बल्कि इसके जरिए देश के आर्थिक तंत्र को अस्थिर करने और राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश हुई है. ये एक गंभीर अपराध है. ओडिशा हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग को आर्थिक आतंकवाद करार दिया है और यह केस उसी श्रेणी में आता है.


बैंक खाते फ्रीज करने में जरूरी कानूनी प्रकिया का पालन हुआ
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हलफनामें में विवो की इस दलील को खारिज कर दिया कि सर्च ऑपरेशन या बैंक खातों को फ्रीज करने से पहले नोटिस भेजने की जरूरत है. ED ने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का सेक्शन 17 उन्हें इस बात की इजाजत देता है कि वो बिना नोटिस दिए भी ये कार्रवाई कर सकते हैं. बैक खातों को फ्रीज करने के लिए जरूरी कानूनी प्रकिया का पालन हुआ है और इसे गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता.


वहीं ED ने कोर्ट को बताया कि वो विवो से जुड़ी 22 कंपनियों के वित्तीय लेन देन की जांच कर रही है. इन कंपनियों के मालिक विदेशी नागरिक हैं. इन फर्मो ने चीन को भारी मात्रा में पैसा ट्रांसफर किया है. ये ट्रांसफर संदिग्ध है और ED इसकी जांच कर रही है.


ED ने हलफनामे में विवो के डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी  GPICPL के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर का हवाला भी दिया है. ED ने कोर्ट को बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही उसके चाइनीज डायरेक्टर जांच में सहयोग करने के बजाए देश छोड़कर भाग गए. ईडी का कहना है कि जीपीआईसीपीएल (GPICPL) के खातों में कुल 1487 करोड़ रुपये जमा हुए. इसमें से 1200 करोड़ रुपये उसने विवो को ट्रांसफर कर दिए. ये लेनदेन साफ तौर पर दोनों कंपनियों के बीच के गठजोड़ को दर्शाता है. बहरहाल अब दिल्ली हाईकोर्ट आगे 28 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगा.


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